रायपुर, 26 अक्टूबर 2025: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में माओवाद का अंत अब वास्तविकता बनने की ओर बढ़ रहा है। राज्य में चल रही “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी मानवीय पहल ने बस्तर में शांति और विश्वास की नई बयार बहा दी है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कांकेर जिले में 21 नक्सलियों ने रविवार को आत्मसमर्पण किया, जो राज्य की “आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति – 2025” और “नियद नेल्ला नार योजना” की बड़ी सफलता का प्रमाण है।
💬 मुख्यमंत्री का बयान: विकास ही सही राह
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि माओवाद की झूठी और भ्रामक विचारधारा से भटके युवा अब यह समझ चुके हैं कि “बंदूक नहीं, विकास ही भविष्य का सही विकल्प है।”
उन्होंने कहा कि सरकार इन आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास, पुनर्प्रशिक्षण और सामाजिक पुनर्संस्थापन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, ताकि वे मुख्यधारा से जुड़कर सम्मानजनक जीवन जी सकें।
🛡️ प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के नेतृत्व में विश्वास की जीत
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बस्तर के लोगों का विश्वास और भरोसा जीता है।
उन्होंने कहा, “अब माओवादी संगठन कमजोर हो रहे हैं, बड़ी संख्या में नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति को अपना रहे हैं।”
🌄 “बस्तर में टूटी नक्सलवाद की कमर”
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर अब शांति, विकास और सशक्तिकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में माओवाद की कमर टूट चुकी है और लोग नई उम्मीदों के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
साय ने कहा, “डबल इंजन की सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक भारत को नक्सलमुक्त बनाना है, और छत्तीसगढ़ इस दिशा में अग्रसर है।”
🌱 पूना मारगेम योजना से मिली नई दिशा
राज्य सरकार की ‘पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन’ योजना के तहत अब तक सैकड़ों नक्सली मुख्यधारा में लौट चुके हैं। इस पहल के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को न सिर्फ आर्थिक सहायता दी जा रही है बल्कि उन्हें कौशल प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं।
