छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने BALCO की याचिका खारिज की, टाउनशिप में बिजली आपूर्ति पर ITC का दावा अस्वीकार्य घोषित

रायपुर (छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने Bharat Aluminium Company Limited (BALCO) को बड़ा झटका देते हुए उसकी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि कंपनी अपने कर्मचारियों की टाउनशिप में दी जाने वाली बिजली पर GST मुआवजा उपकर (Compensation Cess) के Input Tax Credit (ITC) का दावा नहीं कर सकती।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र के अग्रवाल की खंडपीठ ने 14 अक्टूबर 2025 को यह फैसला सुनाया। अदालत ने 31 जुलाई 2025 को पारित एकल न्यायाधीश के आदेश को सही ठहराया, जिसमें BALCO की याचिकाएं पहले ही खारिज कर दी गई थीं।


⚖️ मामले की पृष्ठभूमि

BALCO की फैक्ट्री और कैप्टिव पावर प्लांट (540 मेगावाट और 1,200 मेगावाट) कोरबा जिले में स्थित हैं। कंपनी बिजली उत्पादन के लिए आयातित कोयले पर GST Compensation Cess का भुगतान करती है। यह बिजली मुख्य रूप से एल्यूमिनियम उत्पादन के लिए उपयोग की जाती है, जबकि एक हिस्सा कर्मचारियों की आवासीय टाउनशिप को आपूर्ति किया जाता है।

BALCO ने फरवरी 2019 के लिए ₹7.44 करोड़ के मुआवजा उपकर पर ITC रिफंड की मांग की थी, यह कहते हुए कि टाउनशिप को दी जाने वाली बिजली भी “व्यवसाय की प्रक्रिया” का हिस्सा है। लेकिन विभाग ने जांच के बाद यह दावा खारिज कर दिया।


🧾 विभागीय और न्यायिक निर्णय

राज्य कर अधिकारी, कोरबा ने 22 जून 2019 को आदेश जारी कर कहा कि टाउनशिप के लिए उपयोग की गई बिजली व्यावसायिक उपभोग (business consumption) के दायरे में नहीं आती। इसलिए उस हिस्से पर ITC का दावा अमान्य है।

अपील में संयुक्त आयुक्त (अपील), बिलासपुर ने भी इस निर्णय को सही ठहराया और कहा कि टाउनशिप में दी गई बिजली कल्याणकारी सुविधा है, न कि उत्पादन या व्यापार से जुड़ी गतिविधि।


⚖️ हाईकोर्ट का तर्क और निर्णय

हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों को टाउनशिप में दी गई बिजली व्यवसाय से आंतरिक रूप से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह एक कल्याणकारी (welfare) कार्य है। इसलिए इस पर GST Compensation Cess का Input Tax Credit (ITC) नहीं दिया जा सकता।

अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के मामलों — Maruti Suzuki Ltd. और Gujarat Narmada Fertilizers Co. Ltd. — का हवाला देते हुए कहा कि जो बिजली कारखाने या निर्माण प्रक्रिया में सीधे उपयोग नहीं होती, उस पर ITC का दावा नहीं बनता।


🧩 संशोधन को लेकर अदालत का मत

कोर्ट ने CGST नियम 2017 के Rule 43 की व्याख्या (Explanation 1(d)) में 5 जुलाई 2022 को किए गए संशोधन का भी उल्लेख किया। यह संशोधन ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स (Duty Credit Scrips) के मूल्य को छूट प्राप्त आपूर्ति के मूल्य से बाहर करता है। अदालत ने कहा कि यह संशोधन भावी (prospective) प्रभाव वाला है, न कि स्पष्टीकरणात्मक (clarificatory)

क्योंकि सरकार ने CGST अधिनियम की धारा 164(3) के तहत इस संशोधन को पिछली तिथि से लागू करने का अधिकार नहीं लिया, इसलिए BALCO को पुराने मामलों में इसका लाभ नहीं मिल सकता।


🧠 निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का यह फैसला कर व्यवस्था और औद्योगिक नीति के लिए एक अहम दिशा देता है। अदालत ने दोहराया कि ITC एक वैधानिक रियायत है, जिसे केवल कानूनी प्रावधानों के दायरे में ही प्राप्त किया जा सकता है।

इस निर्णय से यह भी स्पष्ट हुआ कि BALCO ITC on electricity केवल उसी स्थिति में मान्य होगा जब बिजली का उपयोग प्रत्यक्ष रूप से निर्माण या व्यापारिक गतिविधि में हो, न कि कर्मचारियों की आवासीय जरूरतों के लिए।

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