फलटण डॉक्टर आत्महत्या मामला: टेक्नी और पुलिस सब-इंस्पेक्टर गिरफ्तार, चैट और कॉल रिकॉर्ड से खुला राज़

फलटण: doctor suicide case Phaltan में शनिवार को बड़ा खुलासा हुआ है। सातारा पुलिस ने 28 वर्षीय महिला डॉक्टर की आत्महत्या और बलात्कार के आरोप में एक टेक्नी और एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर (PSI) को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां टेक्नी को चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया।


🧩 डॉक्टर की आत्महत्या और शुरुआती जांच

यह doctor suicide case Phaltan तब सामने आया जब फलटण उपजिला अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर का शव उनके आवास में मिला। डॉक्टर की हथेली पर दो नाम लिखे हुए पाए गए — एक टेक्नी और एक पुलिस अधिकारी के। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

सातारा एसपी तुषार दोशी ने बताया कि डॉक्टर की मौत को गंभीरता से लिया गया है। मोबाइल चैट, कॉल रिकॉर्ड और आत्महत्या नोट के आधार पर सबूत एकत्र किए जा रहे हैं।


🧑‍💻 आरोपी टेक्नी का पक्ष और परिवार का बयान

गिरफ्तार टेक्नी के भाई ने कहा कि उनका भाई पुणे से नहीं, बल्कि फलटण स्थित घर से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया, “हमने खुद उसे पुलिस के सामने सरेंडर करने के लिए कहा। डॉक्टर बार-बार उसे कॉल करती थी और परेशान करती थी।”

टेक्नी की बहन ने बताया, “डेंगू के इलाज के दौरान दोनों की जान-पहचान हुई। करीब 15 दिन पहले डॉक्टर ने शादी का प्रस्ताव रखा था, जिसे मेरे भाई ने ठुकरा दिया। दीवाली के दौरान वह तनाव में लग रही थी, पर हमने समझा कि यह काम का दबाव है।”


📱 चैट और कॉल रिकॉर्ड से खुला पूरा मामला

जांच में सामने आया है कि doctor suicide case Phaltan में डॉक्टर और टेक्नी के बीच कई चैट और कॉल हुए थे। डॉक्टर ने इन चैट्स में मानसिक तनाव और दबाव की बात कही थी।

पुलिस ने व्हाट्सएप चैट और कॉल रिकॉर्ड जब्त कर लिए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि “डॉक्टर ने कई जगह तनाव और निराशा की बातें लिखी थीं, जिससे स्पष्ट है कि वह मानसिक दबाव में थी।”


👮‍♂️ सब-इंस्पेक्टर की भूमिका पर भी सवाल

पुलिस अब उस पुलिस सब-इंस्पेक्टर की भूमिका की भी जांच कर रही है, जो डॉक्टर की तरह बीड जिले का रहने वाला है। आरोप है कि डॉक्टर के साथ उसका भी निजी संबंध था। फिलहाल उसने रात में फलटण थाने में आत्मसमर्पण कर दिया है।


💬 समाज में बढ़ती चिंता और संवेदनशीलता

यह doctor suicide case Phaltan केवल एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि एक सामाजिक सवाल भी खड़ा करता है। डॉक्टर जैसे संवेदनशील पेशे में कार्यरत लोगों पर मानसिक दबाव और निजी रिश्तों के असर को लेकर समाज में नई बहस शुरू हो गई है।

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसे मामलों में भावनात्मक संवाद और मानसिक स्वास्थ्य सहायता ज़रूरी है, ताकि ऐसे हादसे दोबारा न हों।

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