छत्तीसगढ़ में ड्राइवर महा संगठन का महाबंद और चक्का जाम आज से, चार मांगों को लेकर सरकार

रायपुर/नवागढ़, CG NEWS। छत्तीसगढ़ में आज 25 अक्टूबर को ड्राइवर महा संगठन ने महाबंद और चक्का जाम का ऐलान किया है। पिछले कुछ महीनों से संगठन के पदाधिकारी पूरे प्रदेश में इस आंदोलन को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। गांव-गांव जाकर ड्राइवरों को इस चक्का जाम में शामिल होने की अपील की जा रही है।


🚛 चार प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन

संगठन ने सरकार के सामने चार बड़ी मांगें रखी हैं—

1️⃣ पूरे छत्तीसगढ़ में शराबबंदी लागू की जाए।
2️⃣ ड्राइवर आयोग और सुरक्षा कानून बनाया जाए।
3️⃣ ड्राइवर वेलफेयर बोर्ड का गठन किया जाए।
4️⃣ 1 सितंबर को “ड्राइवर दिवस” घोषित किया जाए।

इन मांगों को लेकर संगठन ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 25 अक्टूबर से पहले निर्णय नहीं लिया गया, तो यह आंदोलन अनिश्चितकालीन चक्का जाम में बदल जाएगा।


📍 नवागढ़ ब्लॉक में भी आंदोलन की तैयारी तेज

नवागढ़ ब्लॉक में भी आंदोलन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
ब्लॉक अध्यक्ष मनोज शर्मा, उपाध्यक्ष दिलीप साहू और सचिव राधे यादव के नेतृत्व में शिवरीनारायण से राहौद मार्ग तक वाहनों पर पंपलेट चिपकाए गए और संगठन की जानकारी दी गई।

संगठन के सदस्यों ने लोगों से आंदोलन को सफल बनाने के लिए चंदा वसूली भी की। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन केवल ड्राइवरों के अधिकारों के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज में सुरक्षा, सम्मान और रोजगार की स्थिरता के लिए है।


⚠️ सरकार को दी सख्त चेतावनी

ड्राइवर महा संगठन ने साफ कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल करने को मजबूर होंगे।
संगठन के पदाधिकारियों ने कहा—

“उड़िसा सरकार ने हमारे जैसे ही संगठन की मांगें मान ली हैं, अब छत्तीसगढ़ सरकार को भी ऐसा कदम उठाना चाहिए।”


📊 पृष्ठभूमि और जनसमर्थन

संगठन ने पिछले दो महीनों में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, बालोद, और कोरबा जिलों में सैकड़ों सभाएँ और रैलियाँ निकाली हैं। ट्रक, बस, ऑटो और टैक्सी यूनियनों ने भी इस आंदोलन को नैतिक समर्थन देने की घोषणा की है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर चक्का जाम लंबा चला, तो इससे परिवहन सेवाएँ, धान खरीदी और आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो सकती हैं।


📌 निष्कर्ष:

Chhattisgarh driver maha sangathan chakka jam आंदोलन अब पूरे प्रदेश में बड़ा रूप लेता जा रहा है। संगठन का कहना है कि यह उनकी हक और सुरक्षा की लड़ाई है, जिसे अब पीछे नहीं हटाया जाएगा। सरकार की अगली प्रतिक्रिया पर पूरे आंदोलन की दिशा निर्भर करेगी।