रायपुर, 25 अक्टूबर 2025 Chhattisgarh High Court missing employee wife case: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी सात साल से अधिक समय तक लापता रहता है, तो उसकी पत्नी या आश्रित परिवारजन उसके सेवा लाभों (service benefits) का दावा कर सकते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में सिविल कोर्ट की अलग से घोषणा आवश्यक नहीं है।
⚖️ BSP और SAIL की याचिका हुई खारिज
यह आदेश न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल और राधाकिशन अग्रवाल की खंडपीठ ने पारित किया। अदालत ने भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT), बिलासपुर बेंच के आदेश को बरकरार रखा।
CAT ने पहले ही BSP को निर्देश दिया था कि लापता कर्मचारी की पत्नी को उसके सभी सेवा लाभ जल्द से जल्द दिए जाएं।
👨🏭 कर्मचारी 2010 से लापता, फिर भी BSP ने किया बर्खास्त
यह मामला राजहरा माइंस में कार्यरत एक वरिष्ठ तकनीशियन का है, जो 14 जनवरी 2010 से लापता है। उसकी पत्नी ने तत्कालीन समय में पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई थी।
इसके बावजूद, BSP ने 11 दिसंबर 2010 को कर्मचारी पर अनुपस्थिति का आरोप लगाते हुए चार्जशीट जारी की और 17 सितंबर 2011 को एकतरफा (ex parte) आदेश से उसकी सेवा समाप्त कर दी।
👩⚖️ पत्नी की याचिका पर मिला न्याय
कर्मचारी की पत्नी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि उसका पति वर्षों से लापता है और उसे भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 108 के तहत मृत माना जाना चाहिए। CAT ने उसकी याचिका स्वीकार की और BSP को सभी सेवा लाभ (service benefits) प्रदान करने का निर्देश दिया।
⚖️ हाईकोर्ट ने दी पत्नी को राहत, कहा—सात साल बाद मृत्यु की मान्यता लागू
BSP और SAIL ने तर्क दिया कि बिना सिविल कोर्ट की घोषणा के पत्नी की याचिका मान्य नहीं है, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा—
“जब कोई व्यक्ति सात वर्ष से अधिक समय से लापता हो और उसके बारे में कोई सूचना न हो, तो उसे मृत मानना उचित है।”
न्यायालय ने कहा कि BSP ने यह जानते हुए भी कि कर्मचारी लापता है, सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर कानूनी त्रुटि की।
📌 महत्वपूर्ण संकेत:
यह फैसला उन हजारों परिवारों के लिए राहत है जिनके सदस्य वर्षों से लापता हैं। अदालत का यह निर्णय न केवल न्यायिक दृष्टि से बल्कि मानव संवेदना के स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
📊 निष्कर्ष:
Chhattisgarh High Court missing employee wife case ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सात वर्ष की अनुपस्थिति के बाद लापता कर्मचारी के आश्रितों को सेवा लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता। यह फैसला न्याय और संवेदना, दोनों का संतुलन स्थापित करता है।
