विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा – संयुक्त राष्ट्र में सब ठीक नहीं, दुनिया की प्राथमिकताओं को नहीं दर्शाते उसके फैसले

नई दिल्ली | विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र (UN) की कार्यप्रणाली पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि “दुनिया कठिन दौर से गुजर रही है और संयुक्त राष्ट्र की निर्णय प्रक्रिया अब दुनिया की प्राथमिकताओं को नहीं दर्शाती। सच कहें तो, संयुक्त राष्ट्र में सब ठीक नहीं है।

जयशंकर यह बात संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ पर जारी किए गए डाक टिकट के विमोचन कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि आज के संघर्ष के युग में दुनिया को शांति की जरूरत है, और यही इस डाक टिकट का संदेश भी है।

“संयुक्त राष्ट्र में सुधार की सख्त जरूरत”

विदेश मंत्री ने स्पष्ट कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था, जो शांति और वैश्विक सहयोग की प्रतीक मानी जाती है, अब जमीनी हकीकतों से कट चुकी है।
उनके अनुसार, “आज संयुक्त राष्ट्र की बहसें बहुत ध्रुवीकृत हो गई हैं और वास्तविक वैश्विक मुद्दों से दूर जा चुकी हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र में सार्थक सुधार (meaningful reform) की जरूरत है, लेकिन विडंबना यह है कि “सुधार की प्रक्रिया को ही अब बदलाव रोकने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।”

स्विट्ज़रलैंड और पाकिस्तान के संदर्भ में बयान

जयशंकर के बयान ऐसे समय में आए हैं जब स्विट्ज़रलैंड, जो फिलहाल यूएन मानवाधिकार आयोग (UNHRC) की अध्यक्षता कर रहा है, ने हाल ही में भारत से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने को कहा था।
भारत ने उस पर पलटवार करते हुए कहा था कि स्विट्ज़रलैंड को पहले अपने देश में मौजूद नस्लवाद, भेदभाव और ज़ेनोफोबिया जैसी समस्याओं को सुलझाना चाहिए।

वहीं, पाकिस्तान भी बार-बार कश्मीर मुद्दे पर झूठ फैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंच का दुरुपयोग कर रहा है। हाल ही में पाकिस्तानी राजनयिकों ने फिर आतंकवादियों को “स्वतंत्रता सेनानी” बताने की कोशिश की, जिस पर भारत ने कड़ा जवाब दिया।

भारत और अन्य देशों की साझा मांग

जयशंकर ने कहा कि भारत, ब्राज़ील और अफ्रीकी यूनियन जैसे कई देश लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की मांग कर रहे हैं।
भारत ने कई बार वैश्विक आतंकवादियों को “ग्लोबल टेररिस्ट” घोषित करने की कोशिश की, लेकिन चीन जैसे स्थायी सदस्य अपने वीटो का दुरुपयोग करते रहे।

उन्होंने कहा —

“भारत संयुक्त राष्ट्र का समर्थक रहेगा, लेकिन अब यह संगठन अपने सदस्य देशों और वैश्विक प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करता।”

जयशंकर का सशक्त संदेश

विदेश मंत्री का यह बयान न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र के ढांचे पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत अब वैश्विक मंचों पर अपनी बात खुलकर और दृढ़ता से रख रहा है।
भारत लगातार यह मांग कर रहा है कि UN को 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से पुनर्गठित किया जाए, ताकि यह वास्तव में “सबके लिए” संस्था बन सके।

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