बिलासपुर, missing employee service benefits।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भिलाई इस्पात संयंत्र (BSP) को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा है कि 7 साल से लापता कर्मचारी की पत्नी को सभी service benefits जल्द से जल्द दिए जाएं। न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल और न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल की खंडपीठ ने BSP की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT), बिलासपुर बेंच के आदेश को चुनौती दी थी।
यह मामला BSP राजहरा माइंस में कार्यरत एक वरिष्ठ तकनीशियन (इलेक्ट्रिकल) से जुड़ा है, जो 14 जनवरी 2010 से लापता हैं। उनकी पत्नी ने उसी वर्ष FIR दर्ज कराई थी। इसके बावजूद BSP ने दिसंबर 2010 में उन पर अनुपस्थित रहने का आरोप लगाते हुए चार्जशीट जारी की और सितंबर 2011 में एक्स-पार्टी आदेश से उन्हें सेवा से हटा दिया।
पत्नी ने इस कार्रवाई को CAT में चुनौती दी, जहां से ट्रिब्यूनल ने निलंबन आदेश को निरस्त करते हुए सभी सेवा लाभ देने का निर्देश दिया। BSP ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन अदालत ने इसे कानूनी रूप से गलत ठहराया।
⚖️ न्यायालय का अवलोकन: ‘7 वर्ष से अधिक समय तक कोई समाचार न मिलने पर मृत्युप्रमाण की कानूनी धारणा लागू’
हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 108 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति सात वर्षों तक लापता रहता है और उसके जीवित होने की कोई सूचना नहीं मिलती, तो उसकी मृत्यु की कानूनी धारणा (presumption of death) लागू होती है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इसके लिए किसी सिविल कोर्ट से अलग से प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मामला विवादित नहीं था।
💰 सरकारी आदेश के हवाले से परिवार को लाभ का अधिकार
अदालत ने 28 अप्रैल 2022 को जारी केंद्र सरकार के कार्यालय ज्ञापन का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र (PSU) कर्मचारी लापता हो जाता है, तो उसके परिवार को वेतन बकाया, पारिवारिक पेंशन, ग्रेच्युटी और लीव एन्कैशमेंट जैसे लाभ दिए जाने चाहिए।
📜 अंतिम आदेश: BSP को जल्द करें सेवा लाभों का भुगतान
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि BSP ने लापता कर्मचारी को हटाकर कानूनी भूल की, क्योंकि उसके लापता होने की सूचना पहले से दर्ज थी। अदालत ने BSP और SAIL को निर्देश दिया कि वे कर्मचारी की पत्नी को सभी सेवा लाभ (service benefits) शीघ्र प्रदान करें।
