राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बनीं सबरीमला मंदिर में पूजा करने वाली पहली महिला राष्ट्रपति, आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम

सबरीमला (केरल), 23 अक्टूबर 2025।
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को केरल के प्रसिद्ध श्री अयप्पा मंदिर, सबरीमला में पूजा-अर्चना कर इतिहास रच दिया।
वह इस मंदिर में दर्शन करने वाली देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं।

यह यात्रा केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं (10 से 50 वर्ष आयु वर्ग) के प्रवेश पर लगे पारंपरिक प्रतिबंध को समाप्त कर दिया था।


🕉️ पवित्र परंपरा का पालन करते हुए किया दर्शन

राष्ट्रपति मुर्मू सुबह लगभग 11 बजे पंबा बेस कैंप पहुंचीं। उन्होंने पहले पंपा नदी में अपने पैर धोए और समीप स्थित भगवान गणपति मंदिर में पूजा की।
इसके बाद उन्होंने ‘केत्टुनिरा’ अनुष्ठान में भाग लिया, जहां मेलशांति (मुख्य पुजारी) ने उनका ‘इरुमुडिकट्टू’ तैयार किया — यह वही पवित्र थैला है जिसे श्रद्धालु भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए अपने सिर पर लेकर चढ़ते हैं।

राष्ट्रपति के साथ उनके जमाई गणेश चंद्र होमब्रम और कुछ अन्य अधिकारी भी पारंपरिक पोशाक में मौजूद रहे।
इसके बाद विशेष वाहनों के माध्यम से उन्होंने 4.5 किलोमीटर लंबा स्वामी अयप्पन मार्ग पार कर सन्निधानम (मुख्य मंदिर परिसर) पहुंचीं।


🙏 अयप्पा भगवान के दर्शन और पवित्र 18 सीढ़ियों की चढ़ाई

सन्निधानम में राष्ट्रपति का पारंपरिक स्वागत तंत्री कंदरारु महेश मोहनारु ने ‘पूर्ण कुम्भ’ के साथ किया।
राज्य देवस्वम मंत्री वी.एन. वसावन ने भी राष्ट्रपति का स्वागत किया।

राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने सिर पर इरुमुदिकट्टू रखकर पवित्र 18 सीढ़ियाँ चढ़ीं और भगवान अयप्पा के दर्शन किए।
पूजा के बाद उन्होंने मलिकापुरम देवी मंदिर में भी दर्शन किया।

इसके बाद वे देवस्वम बोर्ड अतिथि गृह लौटीं, जहां उनके लिए विशेष दोपहर भोज की व्यवस्था की गई थी।
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति की सुरक्षा व्यवस्था के चलते इस दौरान श्रद्धालुओं का प्रवेश कुछ समय के लिए सीमित रखा गया था।


🌼 भक्ति और मर्यादा का प्रतीक बना राष्ट्रपति का सबरीमला दौरा

राष्ट्रपति के इस दर्शन को लेकर भाजपा सांसद बंडी संजय कुमार ने लिखा,
“वह 67 वर्ष की हैं। उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा, किसी की आस्था नहीं आहत की — बल्कि उसे सम्मान दिया। वह पहली राष्ट्रपति हैं जिन्होंने इरुमुड़ी धारण कर भगवान अयप्पा के सामने शीश नवाया।”

उन्होंने आगे लिखा,
“यह क्षण हमें याद दिलाता है कि भक्ति कभी शोर नहीं करती, बल्कि गरिमा से खड़ी रहती है। उन 18 सीढ़ियों ने बहस और विरोध दोनों देखे हैं, परंतु अंत में भक्ति ने अपनी मर्यादा साबित की है।”


🛕 ऐतिहासिक और प्रेरणादायक क्षण

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यह दौरा केवल एक औपचारिक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, समानता और नारी शक्ति का अद्भुत संगम है।
उन्होंने साबित किया कि परंपरा और प्रगति साथ-साथ चल सकते हैं।
President Droupadi Murmu Sabarimala visit ने न केवल इतिहास रचा, बल्कि करोड़ों अयप्पा भक्तों के लिए आस्था और सम्मान का एक नया अध्याय भी जोड़ दिया।

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