वेलिंगटन, 21 अक्टूबर 2025, Navjot Singh deportation New Zealand।
न्यूजीलैंड में जन्मे और पले-बढ़े 18 वर्षीय नवजोत सिंह को अब उस देश से निर्वासित किया जा रहा है, जिसे वह अपना घर मानता है। सरकार ने निर्णय लिया है कि नवजोत को भारत भेजा जाएगा, क्योंकि वह देश में कानूनी नागरिकता नहीं रखता।
यह मामला न्यूजीलैंड के उस कानून से जुड़ा है, जिसमें 2006 के बाद जन्मे उन बच्चों को नागरिकता से वंचित कर दिया गया, जिनके माता-पिता के पास वैध इमीग्रेशन स्टेटस नहीं है।
👶 जन्म से न्यूजीलैंड में, पर नागरिकता से वंचित
नवजोत सिंह का जन्म 2007 में ऑकलैंड में हुआ था। उनके माता-पिता भारतीय मूल के हैं, जिन्होंने वीज़ा की अवधि समाप्त होने के बाद भी वहीं रहना जारी रखा।
नवजोत के पिता को उनके जन्म के सिर्फ पांच दिन बाद ही डिपोर्ट कर दिया गया, जबकि उनकी मां ने 2012 में कानूनी स्थिति खो दी, जब नवजोत मात्र पांच वर्ष के थे।
जब वह आठ वर्ष के हुए, तब उन्हें पहली बार यह एहसास हुआ कि वे न तो स्कूल जा सकते हैं, न ही स्वास्थ्य सेवाओं या अन्य बुनियादी अधिकारों के पात्र हैं।
💔 “भारत में कैसे जियूंगा, मुझे हिंदी भी नहीं आती” – नवजोत सिंह
नवजोत ने स्थानीय मीडिया RNZ से कहा कि वह भारत जाने से डरते हैं, क्योंकि उन्होंने कभी न्यूजीलैंड से बाहर कदम नहीं रखा।
“मेरे सारे दोस्त यहीं हैं। मैंने सुना है कि भारत में पढ़े-लिखे लोगों को भी नौकरी नहीं मिलती, और मैं तो स्कूल भी नहीं गया,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें हिंदी बोलना नहीं आता, जिससे उनके लिए भारत में रहना और भी मुश्किल हो जाएगा।
⚖️ सरकार ने राहत से किया इनकार, वकील बोले – यह अमानवीय है
नवजोत ने निवास की अनुमति के लिए मंत्रिस्तरीय हस्तक्षेप की मांग की थी, जिसे एसोसिएट इमिग्रेशन मंत्री क्रिस पेंक ने हाल ही में खारिज कर दिया।
उनके वकील एलेस्टेयर मैक्लाइमॉन्ट ने सरकार के निर्णय को “अमानवीय” बताया और कहा कि बच्चों को उस देश में निर्वासित करना, जहां वे कभी गए ही नहीं, “नैतिक रूप से गलत” है।
उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड को ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम की तरह कानून बनाना चाहिए, जो उन बच्चों को नागरिकता देते हैं जिन्होंने 10 वर्ष या अधिक समय तक देश में निवास किया हो।
🏫 समुदाय ने किया विरोध – “वह हमारा बच्चा है”
सुप्रीम सिख सोसाइटी के अध्यक्ष दलजीत सिंह ने RNZ से कहा, “नवजोत यहीं पैदा हुआ, यहीं बड़ा हुआ। वह हमारे समुदाय का हिस्सा है। उसे भारत भेजना अन्याय होगा।”
उन्होंने सरकार से अपील की कि वह इस नीति पर पुनर्विचार करे, ताकि भविष्य में ऐसे और बच्चे अपनी पहचान से वंचित न हों।
🏛 सरकारी बयान – “नीति पर कोई बदलाव नहीं”
इमिग्रेशन मंत्री एरिका स्टैनफोर्ड के प्रवक्ता ने कहा कि 2006 के बाद जन्मे ऐसे बच्चों के लिए कोई नई नीति नहीं बनाई जा रही है।
हालांकि उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों को इमिग्रेशन प्रोटेक्शन ट्रिब्यूनल या मंत्री स्तर पर व्यक्तिगत रूप से विचार किया जा सकता है।
✍️ निष्कर्ष
नवजोत सिंह का मामला न्यूजीलैंड की इमिग्रेशन नीति और मानवीय संवेदनाओं के बीच टकराव का प्रतीक बन गया है। एक ऐसे युवक की कहानी, जो अपने ही जन्मस्थान से बेगाना कर दिया गया, अब अंतरराष्ट्रीय बहस का विषय बन चुकी है।
