जगदलपुर: तेलंगाना में सोनू दादा और उसके बाद जगदलपुर में भूपति के आत्मसमर्पण से नक्सली संगठन के अंदर बड़ा भूचाल आ गया है। इस घटनाक्रम के बाद नक्सलियों की केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने चार पन्नों का पत्र जारी कर अपने ही साथियों पर गद्दारी का आरोप लगाते हुए उन्हें सख्त सजा देने की घोषणा की है।
🔴 सोनू दादा बना था पोलित ब्यूरो सदस्य, फिर की गद्दारी
अभय ने अपने पत्र में बताया कि संगठन ने सोनू दादा को पोलित ब्यूरो सदस्य जैसा महत्वपूर्ण पद सौंपा था। इसके बावजूद, उसने अपने 60 साथियों के साथ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने हथियार डाल दिए।
अभय ने लिखा है कि यह कदम संगठन के लिए एक गंभीर विश्वासघात है और पार्टी ने उसे “गद्दार और दलबदलू” घोषित कर संगठन से बाहर कर दिया है।
🟥 भूपति का 210 साथियों के साथ आत्मसमर्पण
सोनू दादा के आत्मसमर्पण के ठीक अगले दिन, भूपति ने 210 साथियों के साथ जगदलपुर में सरेंडर किया। इस घटना के बाद से संगठन के भीतर गहरा असंतोष देखा जा रहा है। नक्सलियों ने कहा कि इन दोनों के आत्मसमर्पण से उनकी संगठनात्मक संरचना को गहरी चोट पहुंची है।
⚠️ “गद्दारों को सजा” देने का आदेश
अभय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि संगठन के अंदर इस गद्दारी को लेकर सख्त कार्रवाई की जाएगी। नक्सलियों ने कहा है कि “जो साथी संगठन छोड़कर दुश्मनों के साथ खड़े हुए हैं, उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी।”
साथ ही पत्र में यह भी माना गया कि सोनू दादा के इस फैसले से डीकेएसजेड सी के सदस्य विवेक, वैकल्पिक सदस्य दीपा और अन्य 10 संभाग स्तरीय ओहदेदारों में गहरी नाराजगी फैल गई है।
🟢 नक्सल संगठन में बढ़ी अंदरूनी कलह
सूत्रों के अनुसार, इन आत्मसमर्पणों के बाद संगठन के अंदर आंतरिक विभाजन और विश्वास संकट तेजी से बढ़ा है। कई वरिष्ठ नक्सली अब नेतृत्व की रणनीतियों पर सवाल उठा रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह नक्सल संगठन की कमजोर होती पकड़ और सरकार की सफल आत्मसमर्पण नीति का संकेत है।
🔚 निष्कर्ष:
Naxal Central Committee letter Sonu Dada Bhupathi surrender से यह साफ है कि नक्सली संगठन में अंदरूनी मतभेद और गुटबाजी बढ़ रही है। आत्मसमर्पणों की इस श्रृंखला ने न केवल संगठन की रणनीति को झटका दिया है, बल्कि नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की नीतियों को भी मजबूती दी है।
