छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले पर कांग्रेस का हमला: “हसदेव अरंड के वनाधिकार रद्द होना खतरनाक फैसला, FRA की नींव पर चोट”

रायपुर, 20 अक्टूबर 2025 Chhattisgarh High Court Forest Rights Act decision।
छत्तीसगढ़ के हसदेव अरंड क्षेत्र से जुड़ा एक अहम न्यायिक फैसला राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गया है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हाल ही में एक गांव समुदाय को दिए गए वनाधिकार (Forest Rights) को रद्द कर दिया है। इस फैसले को लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे Forest Rights Act (FRA) 2006 की भावना के विपरीत बताया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा—

“हसदेव अरंड में जो हो रहा है, वह अस्वीकार्य और अभूतपूर्व है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की एकल पीठ ने गांव समुदाय के वनाधिकारों को निरस्त कर दिया है। यह फैसला FRA की आत्मा पर सीधा प्रहार है।”

रमेश ने यह भी कहा कि अदालत के फैसले में यह “असाधारण कारण” बताया गया कि जब भूमि पहले ही खनन के लिए आवंटित हो चुकी थी और उस समय कोई कानूनी चुनौती नहीं दी गई थी, तो अब वनाधिकार का दावा नहीं बनता। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा—

“कोई रहस्य नहीं है कि इस फैसले से कौन लाभान्वित होगा। Modani hai to mumkin hai।”

पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने अदालत की उस टिप्पणी को भी “तर्क और न्याय की विचित्र व्याख्या” बताया जिसमें कहा गया था कि FRA राज्य के खनिज अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करता।

उन्होंने कहा,

“वनाधिकार कानून का मकसद ग्रामीणों को जंगल से जुड़ी उपज और संसाधनों पर अधिकार देना है। अगर भूमि का अधिकार ही खत्म कर दिया जाए, तो यह अधिकार अर्थहीन हो जाता है। यह फैसला न केवल FRA की नींव को कमजोर करता है बल्कि वनवासियों के जीवन और अस्तित्व को भी खतरे में डालता है।”

राज्य सरकार की ओर से अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह मुद्दा तेजी से गर्म हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला आने वाले समय में वनभूमि और खनन अधिकारों पर एक नई बहस को जन्म देगा।

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