बस्तर में ऐतिहासिक बदलाव: 210 माओवादी कैडरों ने बंदूक छोड़ संविधान को अपनाया, मुख्यमंत्री साय बोले – यह आत्मसमर्पण नहीं, आत्मजागरण है

रायपुर, 17 अक्टूबर 2025।
आज का दिन छत्तीसगढ़ के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
बस्तर में 210 माओवादी कैडरों ने “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” कार्यक्रम के अंतर्गत बंदूक छोड़कर संविधान को अपनाया।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर को “छत्तीसगढ़ में शांति, विश्वास और विकास के नए युग की शुरुआत” बताया।


🌄 बंदूक छोड़ संविधान की राह पर लौटे माओवादी

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि जो युवा कभी माओवाद की झूठी विचारधारा में उलझे थे, वे अब लोकतंत्र की शक्ति और संविधान के आदर्शों में विश्वास जताकर समाज की मुख्यधारा में लौट रहे हैं।
उन्होंने कहा —

“यह आत्मसमर्पण नहीं, आत्मजागरण की यात्रा है। जो आज लौटे हैं, उन्होंने छत्तीसगढ़ के भविष्य में शांति और एकता के बीज बोए हैं।”


🔫 210 कैडर, 153 हथियार और 9 करोड़ का इनाम

कुल 210 माओवादी कैडरों में एक सेंट्रल कमेटी सदस्य, चार दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य, एक रीजनल कमेटी सदस्य, 22 डिविजनल कमेटी सदस्य, 61 एरिया कमेटी सदस्य और 98 पार्टी सदस्य शामिल हैं।
इन पर कुल ₹9.18 करोड़ का इनाम घोषित था।
उन्होंने 153 हथियार — जिनमें AK-47, SLR, INSAS रायफलें, कार्बाइन, BGL लॉन्चर और पिस्तौल शामिल हैं — पुलिस के हवाले किए।


🧑‍🤝‍🧑 मुख्यमंत्री साय बोले — “अबूझमाड़ में भय नहीं, विश्वास का शासन”

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह आत्मसमर्पण हिंसा की जड़ को समाप्त करने की दिशा में निर्णायक कदम है।

“अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर, जहाँ कभी भय का शासन था, वहाँ आज विश्वास का शासन है। जो कल जंगलों में छिपे थे, आज वे समाज निर्माण में सहभागी बन रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि यह आत्मसमर्पण बस्तर में नक्सल उन्मूलन अभियान का सबसे बड़ा पड़ाव है।


🛡️ राज्य सरकार की नीतियों से आया बदलाव

मुख्यमंत्री ने कहा कि “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025”, “नियद नेल्ला नार योजना” और “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” जैसी योजनाओं ने बंदूक और भय की जगह संवाद, संवेदना और विकास की नई संस्कृति को जन्म दिया है।
इन योजनाओं के तहत आत्मसमर्पित युवाओं को स्वरोजगार, प्रशिक्षण, शिक्षा और आजीविका के अवसर दिए जाएंगे, ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।


🇮🇳 डबल इंजन सरकार का संकल्प: नक्सलमुक्त छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री साय ने कहा —

“प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से पूर्णतः मुक्त करने का लक्ष्य जल्द ही पूरा होगा।”
उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक आत्मसमर्पण केंद्र और राज्य सरकार के समन्वित प्रयासों का परिणाम है।


🌾 विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आत्मसमर्पित कैडरों को आवास, प्रशिक्षण, शिक्षा और रोजगार से जोड़ेगी।

“हमारा लक्ष्य केवल नक्सलवाद का अंत नहीं, बल्कि ऐसा नया बस्तर बनाना है जहाँ हर घर में विश्वास और हर मन में विकास का उजाला हो।”

उन्होंने कहा कि बस्तर में उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क कनेक्टिविटी के क्षेत्र में तेज़ प्रगति की जाएगी, ताकि यह क्षेत्र आत्मनिर्भर बन सके।


🌺 “बंदूक की गूंज नहीं, विकास की गूंज”

मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के इतिहास में यह वह क्षण है जब बंदूक की गूंज की जगह विकास की गूंज सुनाई दे रही है।

“यह केवल आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के पुनर्जन्म की शुरुआत है। आने वाले समय में बस्तर न केवल नक्सल मुक्त होगा, बल्कि देश के लिए शांति और परिवर्तन का मॉडल बनेगा।”


👥 कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी और जनप्रतिनिधि रहे उपस्थित

कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव, श्री विजय शर्मा, सांसद महेश कश्यप, विधायक किरण सिंह देव,
पुलिस महानिदेशक अरुण देव गौतम, एडीजी विवेकानंद सिन्हा, आईजी सुंदरराज पी., एडीजी सीआरपीएफ अमित कुमार, और एडीजी बीएसएफ नामग्याल सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।


🏁 निष्कर्ष

बस्तर का यह आत्मसमर्पण न केवल हथियार छोड़ने की कहानी है, बल्कि यह उस आशा, विश्वास और बदलाव की कहानी है जो पूरे छत्तीसगढ़ के भविष्य को दिशा दे रही है।
यह वह क्षण है जब हिंसा की जगह विकास ने, और भय की जगह विश्वास ने जन्म लिया है।

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