छत्तीसगढ़ में बड़ा प्रशासनिक फैसला: 35 पदाधिकारियों को मिला मंत्री दर्जा, 13 कैबिनेट और 22 राज्य मंत्री बनाए गए

रायपुर, 16 अक्टूबर 2025 Chhattisgarh ministerial status order:
छत्तीसगढ़ की राजनीति में गुरुवार को एक बड़ा प्रशासनिक फैसला सामने आया है। राज्य शासन ने कुल 35 निगम, मंडल और आयोगों के अध्यक्षों एवं उपाध्यक्षों को मंत्री का दर्जा प्रदान किया है। इनमें से 13 को कैबिनेट मंत्री और 22 को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है।

यह आदेश सामान्य प्रशासन विभाग (GAD), नवा रायपुर अटल नगर से जारी किया गया। इस फैसले के साथ सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि संगठन और शासन के बीच समन्वय को और मज़बूती दी जाएगी।

🏛️ कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त अध्यक्ष:

राज्य शासन के आदेश के अनुसार जिन पदाधिकारियों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है, उनमें शामिल हैं —
अनुराग सिंह देव (गृह निर्माण मंडल), भूपेन्द्र सवन्नी (क्रेडा), चंदूलाल साहू (भंडार गृह निगम), केदार नाथ गुप्ता (अपेक्स बैंक), नीलू शर्मा (पर्यटन मंडल), राजा पाण्डेय (पाठ्य पुस्तक निगम), राजीव अग्रवाल (इंडस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन), राकेश पाण्डेय (खादी बोर्ड), श्रीरामप्रताप सिंह (भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल), राम सेवक पैकरा (वन विकास निगम), संजय श्रीवास्तव (सिविल सप्लाईज), सौरभ सिंह (खनिज निगम) और श्रीनिवास राव मद्दी (बेवरेजेस कॉर्पोरेशन)।

🧾 राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त अध्यक्ष और उपाध्यक्ष:

वहीं राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त करने वालों में प्रमुख नाम हैं —
अमरजीत सिंह छाबड़ा (अल्पसंख्यक आयोग), भरत लाल मटियारा (मछुआ कल्याण बोर्ड), चंद्रहास चन्द्राकर (बीज निगम), चन्द्रकान्ति वर्मा (समाज कल्याण बोर्ड उपाध्यक्ष), दीपक महस्के (मेडिकल सर्विस), ध्रुव कुमार मिर्धा (चर्म शिल्पकार बोर्ड), जितेन्द्र कुमार साहू (तेलघानी बोर्ड), डॉ. लखन लाल धीवर (मछुआ बोर्ड उपाध्यक्ष), लोकेश कावड़िया (निःशक्तजन निगम), मोना सेन (फिल्म विकास), नन्दकुमार साहू (रायपुर विकास प्राधिकरण), प्रफुल्ल विश्वकर्मा (लौह शिल्पकार बोर्ड), प्रहलाद रजक (रजककार बोर्ड), संदीप शर्मा (राज्य खाद्य आयोग), शालिनी राजपूत (समाज कल्याण बोर्ड), शम्भू नाथ चक्रवर्ती (माटिकला बोर्ड), शशांक शर्मा (संस्कृति परिषद), सुरेन्द्र कुमार बेसरा (अंतव्यवसायी सहकारी निगम), सुरेश कुमार चंद्रवंशी (कृषक कल्याण परिषद), विकास मरकाम (आदिवासी औषधि बोर्ड), डॉ. वर्णिका शर्मा (बाल संरक्षण आयोग) और योगेश दत्त मिश्रा (श्रम कल्याण मंडल)।

🔹 राजनीतिक संतुलन और संगठनिक संदेश:

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह निर्णय राज्य सरकार के राजनीतिक संतुलन और संगठनिक सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे न केवल विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधित्व को मज़बूती मिलेगी, बल्कि शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन में भी गति आने की संभावना है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार द्वारा यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जब राज्य में प्रशासनिक सुधारों और राजनीतिक संतुलन को लेकर सक्रिय प्रयास किए जा रहे हैं।

यह आदेश जारी होने के बाद रायपुर से लेकर बस्तर तक के राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

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