छत्तीसगढ़ के बस्तर में बनेगा राज्य का पहला वन विज्ञान केंद्र, संचालन के लिए सलाहकार समिति गठित

Chhattisgarh forest science center Bastar रायपुर, 15 अक्टूबर 2025: छत्तीसगढ़ के बस्तर वन मंडल के आसना में राज्य का पहला वन विज्ञान केंद्र (Forest Science Center) स्थापित होने जा रहा है। यह पहल पर्यावरण संरक्षण और वन अनुसंधान के क्षेत्र में राज्य के लिए एक बड़ा कदम मानी जा रही है। केंद्र की स्थापना के लिए राष्ट्रीय कैम्पा मिशन (National CAMPA Mission), भारत सरकार ने औपचारिक मंजूरी दे दी है।

राष्ट्रीय कैम्पा की 23वीं क्रियान्वयन समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि पायलट प्रोजेक्ट के रूप में झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में एक-एक वन विज्ञान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इनमें से छत्तीसगढ़ में बस्तर के आसना को इस केंद्र के लिए चुना गया है।


🌱 संचालन और प्रशिक्षण के लिए बनी सलाहकार समिति

वन विज्ञान केंद्र के संचालन, प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम निर्धारण के लिए मुख्य वन संरक्षक (जगदलपुर वृत्त) की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय सलाहकार समिति का गठन किया गया है। इस समिति में कुल 8 विषय विशेषज्ञों को शामिल किया गया है, जो अपने अनुभव और सुझावों से इस परियोजना को दिशा देंगे।


👩‍🔬 इन विशेषज्ञों को शामिल किया गया है समिति में

सलाहकार समिति में शामिल प्रमुख नाम हैं –

  • डॉ. गिरिश चंदेल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर
  • श्री राजेश गुप्ता, जशपुर
  • डॉ. संजीवन कुमार, सह-प्राध्यापक, शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय, बस्तर
  • श्री गिरीश कुबेर, रायपुर
  • श्री राजीव शर्मा, रायपुर
  • डॉ. एम.एल. नायक, रायपुर
  • श्री सुबोध मनोहर पांडे, रायपुर
  • डॉ. राहुल मुंगीकर, पुणे, महाराष्ट्र

इसके अलावा सरगुजा वृत्त के मुख्य वन संरक्षक भी समिति में सदस्य के रूप में शामिल होंगे, जबकि बस्तर के वन मंडलाधिकारी को सदस्य सचिव नामांकित किया गया है।


📘 बिना मानदेय विशेषज्ञ देंगे सेवाएँ

समिति में शामिल सभी विषय विशेषज्ञ बिना किसी मानदेय या वेतन के अपनी सेवाएँ देंगे। उनका उद्देश्य केवल राज्य के वन क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रशिक्षण और संरक्षण के प्रयासों को सशक्त बनाना है।


🌍 पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम कदम

छत्तीसगढ़ वन विभाग का मानना है कि इस वन विज्ञान केंद्र की स्थापना से न केवल वन अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं और विद्यार्थियों को प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग की दिशा में जागरूकता भी मिलेगी।

बस्तर क्षेत्र, जो अपनी जैव विविधता और पारंपरिक वन संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, अब वैज्ञानिक अध्ययन और नवाचार का भी केंद्र बनेगा।


✍️ मानवीय दृष्टिकोण से

स्थानीय समुदायों और विद्यार्थियों में इस परियोजना को लेकर उत्साह है। बस्तर के कई ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस वन विज्ञान केंद्र के माध्यम से उन्हें रोजगार, प्रशिक्षण और नई तकनीकी जानकारी के अवसर मिलेंगे।

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