छत्तीसगढ़ में धार्मिक रूपांतरण पर सख्त कानून लाने की तैयारी, ‘चंगाई सभा’ पर भी लगेगी रोक – विजय शर्मा

रायपुर, 14 अक्टूबर 2025 Chhattisgarh anti-conversion law:
छत्तीसगढ़ सरकार अब धार्मिक रूपांतरण (Chhattisgarh anti-conversion law) पर पहले से भी अधिक सख्त कानून लाने जा रही है। इस नए कानून में ‘चंगाई सभाओं’ (faith-healing meetings) जैसे आयोजनों पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी है, जिन्हें अक्सर चमत्कार के नाम पर लोगों को धर्म बदलने के लिए प्रेरित करने का आरोप झेलना पड़ता है।

राज्य के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने सोमवार को कहा कि आगामी विधानसभा सत्र में इस संबंध में नया अधिनियम प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने बताया —

“नया कानून देश के अन्य राज्यों से अधिक व्यापक होगा। ‘चंगाई सभाओं’ जैसे आयोजनों के माध्यम से लोगों को भ्रमित किया जाता है, इसीलिए इन्हें भी सख्ती से नियंत्रित किया जाएगा।”


⚖️ 1968 के कानून की जगह नया अधिनियम

सूत्रों के अनुसार, यह प्रस्तावित कानून छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 (Chhattisgarh Freedom of Religion Act) को संशोधित या प्रतिस्थापित करेगा। नया अधिनियम न केवल जबरन धर्मांतरण (forced conversion) पर रोक लगाएगा, बल्कि ऐसे आयोजनों और संस्थाओं की निगरानी भी करेगा जो अप्रत्यक्ष रूप से धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देते हैं।


🏛️ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की स्पष्ट नीति

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी कई मौकों पर कहा है कि किसी भी नागरिक को अपनी धार्मिक आस्था रखने की स्वतंत्रता है, लेकिन इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर किसी पर प्रलोभन, दबाव या छल से धर्म परिवर्तन थोपना कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


📋 कानून का मसौदा और सख्त प्रावधान

अधिकारियों के अनुसार, इस नए कानून में धर्म परिवर्तन के लिए पहले से घोषणा (declaration) देना अनिवार्य होगा।

  • धर्म परिवर्तन से पहले जिला प्रशासन को सूचना देना आवश्यक होगा।
  • सत्यापन तंत्र (verification mechanism) के माध्यम से जांच की जाएगी कि परिवर्तन स्वेच्छा से हुआ है या दबाव में।
  • उल्लंघन की स्थिति में कठोर दंड और कारावास का प्रावधान रखा जाएगा।

👁️‍🗨️ जिलों को मिलेगी निगरानी की जिम्मेदारी

नए कानून के तहत जिला प्रशासन को व्यापक अधिकार दिए जाएंगे ताकि वे संदिग्ध धार्मिक सभाओं और रूपांतरण अभियानों पर निगरानी रख सकें। गृह मंत्री शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि “धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सुरक्षित रहे, लेकिन उसका दुरुपयोग न हो।”


🌐 राज्य में व्यापक जनचर्चा और समर्थन

राज्यभर में इस प्रस्तावित कानून पर चर्चा शुरू हो चुकी है। सामाजिक संगठनों ने इसे “जनहित में आवश्यक कदम” बताया है, जबकि कुछ संगठनों ने कहा कि सरकार को ऐसे कानून को लागू करते समय धार्मिक सौहार्द बनाए रखने पर भी ध्यान देना चाहिए।


💬 विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह अधिनियम लागू होता है, तो यह धार्मिक रूपांतरण मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। साथ ही, झूठे चमत्कारों और भ्रामक सभाओं पर भी नियंत्रण स्थापित किया जा सकेगा।

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