बीजापुर में माओवादी हमले में भाजपा कार्यकर्ता की हत्या, पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर दी गई ‘सज़ा’

Raipur, BJP worker killed by Maoists: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में माओवादियों ने एक भाजपा कार्यकर्ता की निर्मम हत्या कर दी। मृतक की पहचान सत्याम पूनेम, निवासी मूझलकांकर गांव (इलमिडी थाना क्षेत्र) के रूप में हुई है। माओवादियों ने आरोप लगाया कि सत्याम पुलिस को सूचनाएं देता था और बार-बार चेतावनी देने के बावजूद उसने पुलिस की मदद बंद नहीं की।

पुलिस के अनुसार, रविवार देर रात करीब चार से पांच माओवादी सादे कपड़ों में सत्याम के घर पहुंचे, उसे घर से बाहर बुलाया और रस्सी से गला घोंटकर हत्या कर दी। हमलावरों ने मौके पर हाथ से लिखा पर्चा छोड़ा, जिसमें माओवादी संगठन की माड़ेड एरिया कमेटी ने हत्या की जिम्मेदारी ली।

🩸 माओवादियों का आरोप और डर का माहौल

पर्चे में लिखा था कि सत्याम पूनेम पुलिस के लिए मुखबिरी कर रहा था और माओवादियों की गतिविधियों की जानकारी अधिकारियों तक पहुंचा रहा था। चेतावनी के बाद भी सहयोग जारी रखने पर उसे ‘सज़ा’ दी गई।
स्थानीय लोगों ने बताया कि सत्याम भाजपा के मंडल स्तर के कार्यकर्ता थे और माड़ेड–इलमिडी क्षेत्र में विकास कार्यों से जुड़े हुए थे, जिससे वे माओवादियों के निशाने पर आ गए थे।

🚨 पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव ने बताया, “घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस बल मौके पर भेजा गया। इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और गहन सर्च अभियान शुरू किया गया है।”
उन्होंने कहा कि यह घटना माओवादियों की बौखलाहट को दर्शाती है, क्योंकि बस्तर में लगातार आत्मसमर्पण और सुरक्षा अभियानों ने उनकी गतिविधियों को कमजोर किया है।

📊 बढ़ती हिंसा और राजनीतिक निशाना

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, इस वर्ष अब तक करीब 40 लोग माओवादी हिंसा में मारे जा चुके हैं, जबकि 2023 से 2024 के बीच 11 भाजपा नेताओं की हत्या अलग-अलग जिलों में हुई।
बस्तर संभाग के बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कोंडागांव, कांकेर और बस्तर जिले अब भी माओवादी हिंसा के सबसे संवेदनशील क्षेत्र हैं।

🌾 आतंक के बीच विकास की कोशिश

सत्याम पूनेम की हत्या ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या माओवादी अब राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर लोकतांत्रिक माहौल को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं?
स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, माओवादी जनता में भय पैदा करने और विकास कार्यों को रोकने की रणनीति अपना रहे हैं, जबकि सुरक्षा बल हर स्तर पर उन्हें जवाब देने के लिए तैयार हैं।


👉 निष्कर्ष:
बीजापुर की यह घटना न केवल माओवादियों की हिंसक मानसिकता को दर्शाती है, बल्कि इस बात की भी याद दिलाती है कि BJP worker killed by Maoists जैसी घटनाएँ विकास और लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती बनी हुई हैं। राज्य प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि ऐसे कृत्यों का जवाब सख्ती से दिया जाएगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

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