कांकेर के माइंस प्रभावित इलाकों में फूटा ग्रामीणों का गुस्सा, सांसद विजय नाग ने किया दौरा – वादों पर खरा नहीं उतरा माइंस प्रबंधन

Kanker Mines Affected Area Protest। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के माइंस प्रभावित इलाकों में ग्रामीणों का आक्रोश चरम पर है। 2014 से संचालित माइंस के करोड़ों रुपये के राजस्व के बावजूद अब तक पुल, सड़क, स्कूल और अस्पताल जैसे विकास कार्य अधर में लटके हुए हैं। इसी मुद्दे पर सांसद विजय नाग ने प्रभावित पंचायतों का दौरा कर ग्रामीणों की पीड़ा को प्रत्यक्ष रूप से सुना। यह दौरा अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है और “Kanker Mines Affected Area Protest” सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है।

ग्रामीणों का कहना है कि जब माइंस शुरू हुई थी, तो उन्हें विकास की नई उम्मीदें थीं। वादे हुए कि क्षेत्र में अंग्रेजी माध्यम स्कूल, अस्पताल, पुल-पुलिया, और बेहतर सड़कें बनाई जाएंगी। लेकिन दस साल गुजर जाने के बाद भी हालात जस के तस हैं। गांवों में आज भी टूटे-फूटे स्कूल, बिजली-पानी विहीन आंगनबाड़ी, और खस्ताहाल सड़कें ही दिखती हैं।

सांसद विजय नाग ने अपने दौरे के दौरान मेटाबोदेली गांव में जनसंवाद आयोजित किया। इस गांव में आज भी कोई पक्का पुल नहीं है, जिसके चलते ग्रामीणों को नदी पार कर जान जोखिम में डालकर आना-जाना पड़ता है। बारिश के दिनों में तो गांव दो हिस्सों में बंट जाता है। सांसद ने कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि करोड़ों का राजस्व देने वाले गांव के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।”

दौरे के दौरान सांसद नाग ने एक बच्ची से भी मुलाकात की, जिसने तीन साल पहले माइंस ट्रक की चपेट में आकर अपनी मां को खो दिया था और खुद भी अपंग हो गई थी। सांसद ने बताया कि अब तक न तो उचित इलाज हुआ, न ही मुआवजा दिया गया। यह उदाहरण इस बात का प्रतीक है कि माइंस संचालन के साथ मानवीय संवेदनाएं पीछे छूट गई हैं।

ग्रामीणों ने सांसद को बताया कि मेटाबोदेली और चारगांव के लोगों ने पहले भी माइंस बंद करने का ज्ञापन दिया था, लेकिन प्रशासन और माइंस प्रबंधन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि जब तक वादों के अनुरूप कार्य नहीं होंगे, माइंस परिवहन बंद रहेगा।

सांसद नाग ने कहा कि उन्होंने पहले भी डीएमएफ (District Mineral Foundation) की बैठक तीन माह के लिए टाल दी थी ताकि प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों में पहले काम हो सके। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि “विकास कार्यों में शत-प्रतिशत पारदर्शिता और प्राथमिकता प्रभावित गांवों को मिले।

गौरतलब है कि यह वही क्षेत्र है जो कभी माओवाद प्रभावित इलाका रहा है। आज जब सुरक्षा बलों और प्रशासन ने क्षेत्र को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया है, तो ग्रामीणों की यह शिकायतें बताती हैं कि विकास की रफ्तार अब भी धीमी है।

ग्रामीणों ने कहा कि अगर माइंस प्रबंधन और प्रशासन ने शीघ्र ही ठोस कदम नहीं उठाए, तो Kanker Mines Affected Area Protest और व्यापक रूप ले सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *