रायपुर, 13 अक्टूबर 2025 RSS Ban Demand— कर्नाटक मंत्री प्रियंक खड़गे द्वारा सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और राज्य संचालित मंदिरों में आरएसएस (RSS) की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग को लेकर देशभर में सियासी बवाल मच गया है। इस बयान पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कांग्रेस पर राष्ट्रविरोधी सोच को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
विजय शर्मा ने सोमवार को रायपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा,
“अगर वही लोग, जिनके संगठन ने देश को धर्म के आधार पर बांटने का काम किया, आज आरएसएस पर सवाल उठाते हैं तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। किसान संघ और एबीवीपी जैसी संस्थाएं विश्व की सबसे बड़ी संगठनों में से हैं। आखिर किस आधार पर ऐसी बातें कही जा रही हैं?”
शर्मा ने कहा कि आरएसएस जैसी संस्थाओं ने हमेशा राष्ट्र निर्माण, समाज सेवा और एकता को आगे बढ़ाया है। “ऐसे संगठन जो भारत की एकता और अखंडता के प्रतीक हैं, उन पर इस तरह के आरोप लगाना कांग्रेस की ‘वोट बैंक राजनीति’ को दर्शाता है,” उन्होंने जोड़ा।
इससे पहले, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी प्रियंक खड़गे के बयान की आलोचना की थी। उन्होंने कहा,
“आरएसएस दुनिया का एकमात्र संगठन है जो गुटबाजी और विभाजन से मुक्त है। कांग्रेस के कई पूर्व अध्यक्षों—नेहरू, इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी—ने भी आरएसएस को रोकने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे। आज देश के अधिकांश मंत्री, सांसद और विधायक इस विचारधारा से जुड़े हैं।”
उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी हमेशा “राष्ट्रवादी ताकतों” का विरोध करती रही है और मुस्लिम लीग, पीएफआई और एसएफआई जैसी संस्थाओं के प्रति सहानुभूति दिखाती रही है।
वहीं, विवाद को जन्म देने वाले कर्नाटक मंत्री प्रियंक खड़गे ने रविवार को कहा था कि,
“मैंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से अनुरोध किया है कि सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और राज्य के मंदिरों में आरएसएस की गतिविधियों पर रोक लगाई जाए। आरएसएस नौजवानों के दिमाग को भ्रमित करता है और संविधान-विरोधी सोच को बढ़ावा देता है।”
उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा,
“वे कहते हैं ‘हिंदू खतरे में है, ज्यादा बच्चे पैदा करो’, लेकिन उनके खुद के सदस्य अविवाहित रहते हैं। अगर उनकी विचारधारा इतनी अच्छी है तो बीजेपी नेताओं के बच्चे इसमें क्यों शामिल नहीं होते?”
प्रियंक खड़गे के इस बयान पर भाजपा ने इसे ‘हिंदू विरोधी मानसिकता’ करार दिया है, जबकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह कदम “शिक्षा और धर्मस्थलों को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखने” के लिए आवश्यक है।
फिलहाल, यह विवाद दक्षिण से लेकर उत्तर भारत तक सियासी बहस का विषय बना हुआ है, और ‘RSS Ban Demand’ पर नेताओं के बयान लगातार सुर्खियों में हैं।
