ग्वालियर, 12 अक्टूबर 2025 Anil Mishra Dr Ambedkar remark case।
डॉ. भीमराव आंबेडकर पर आपत्तिजनक बयान देने के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट अभिभाषक संघ के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा मंगलवार दोपहर एसपी ऑफिस स्थित क्राइम ब्रांच थाने पहुंचे और अपनी गिरफ्तारी देने की घोषणा की।
हालांकि पुलिस ने अभी तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया है। अनिल मिश्रा अपने समर्थकों के साथ थाने पहुंचे, जहां उनके समर्थक नारेबाजी करते रहे। मिश्रा ने कहा कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया और संविधान ने सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Expression) का अधिकार दिया है।
⚖️ अनिल मिश्रा बोले – “मैंने कोई अपराध नहीं किया”
अनिल मिश्रा ने मीडिया से कहा,
“मेरे खिलाफ केस दर्ज किया गया है, जो गलत है। मैं गिरफ्तारी देने आया हूँ, क्योंकि मुझे किसी बात का डर नहीं है। मैंने जो कहा, वह संविधान के तहत अभिव्यक्ति की आज़ादी का हिस्सा है।”
वहीं एडिशनल एसपी जयराज कुबेर ने बताया कि, “मामले की जांच चल रही है, और इस समय गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है।”
📂 क्या है पूरा मामला?
ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने सोशल मीडिया पर डॉ. भीमराव आंबेडकर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में अनिल मिश्रा के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
एफआईआर के अनुसार, मिश्रा ने अपने वीडियो में डॉ. आंबेडकर को लेकर अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया था।
इस बयान के बाद दलित संगठनों और जूनियर अधिवक्ताओं ने पुलिस से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की थी।
जांच के बाद क्राइम ब्रांच ने सोमवार रात मिश्रा के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी।
🕊️ प्रतिमा स्थापना विवाद से जुड़ा है मामला
यह विवाद तब शुरू हुआ जब ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने की बात सामने आई।
मई 2025 से इस मुद्दे पर सीनियर और जूनियर अधिवक्ताओं के बीच तनाव बना हुआ है।
17 मई को जब प्रतिमा लगाने की बात शुरू हुई, तो दोनों पक्षों में बहस और झड़पें हुईं।
भीम आर्मी के पूर्व सदस्य रूपेश केन को वकीलों ने हाईकोर्ट परिसर के बाहर पीट दिया था, जिसके बाद स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
हंगामे के बाद प्रशासन ने प्रतिमा स्थापना पर रोक लगा दी और प्रतिमा को शहर से 15 किमी दूर मूर्तिकार प्रभात राय की वर्कशॉप में रखवा दिया गया।
वहीं, दो पुलिसकर्मी प्रतिमा की सुरक्षा में तैनात हैं।
✊ आंदोलन की चेतावनी और मांगें
अब अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट और मध्य प्रदेश सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द प्रतिमा स्थापित की जाए।
उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर यह मांग पूरी नहीं हुई, तो ग्वालियर की सड़कों पर देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
दूसरी ओर, अनिल मिश्रा के नेतृत्व में कुछ वकील प्रतिमा स्थापना का विरोध कर रहे हैं और इसे “न्यायिक मर्यादा का उल्लंघन” बता रहे हैं।
📌 निष्कर्ष
यह मामला अब केवल एक बयान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अभिव्यक्ति की आज़ादी, न्यायपालिका की गरिमा और सामाजिक सम्मान के बीच संतुलन का मुद्दा बन गया है।
फिलहाल, पुलिस जांच जारी है और अनिल मिश्रा की गिरफ्तारी पर फैसला जांच रिपोर्ट आने के बाद लिया जाएगा।
