रायपुर में बड़ा खुलासा: एसीबी अधिकारियों पर फर्जी 164 बयान तैयार करने का आरोप, न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ का दावा

रायपुर, 11 अक्टूबर 2025 Raipur ACB Officers Fake 164 Statement।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW)/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के वरिष्ठ अधिकारियों पर फर्जी न्यायिक बयान तैयार करने और उसे सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करने का गंभीर आरोप लगा है।

यह शिकायत अधिवक्ता गिरीश चंद्र देवांगन द्वारा 10 अक्टूबर 2025 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM), रायपुर के समक्ष दर्ज कराई गई। शिकायत के आधार पर न्यायालय ने तत्काल ही संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिए हैं।


⚖️ किन अधिकारियों पर लगे आरोप

शिकायत में जिन अधिकारियों को आरोपी बताया गया है, उनमें शामिल हैं —

  • अमरेश मिश्रा, निदेशक, राज्य अपराध अन्वेषण/एसीबी
  • राहुल शर्मा, उप पुलिस अधीक्षक
  • चंद्रेश ठाकुर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक

शिकायत के अनुसार, इन अधिकारियों ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज बयान को फर्जी तरीके से तैयार कर उसे सुप्रीम कोर्ट में प्रमाणिक दस्तावेज के रूप में पेश किया।


📄 क्या है मामला

मामला जिला खनिज न्यास घोटाला (Crime No.02/2024) और छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला (Crime No.03/2024) से जुड़ा है।
इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने पहले कई आरोपियों को अंतरिम जमानत दी थी, जिनमें सूर्यकांत तिवारी भी शामिल थे।
एसीबी की ओर से इस आदेश को चुनौती देने के लिए दाखिल याचिका में सह-आरोपी निखिल चंद्राकर का 164 सीआरपीसी बयान संलग्न किया गया था।

लेकिन शिकायतकर्ता का दावा है कि यह बयान वास्तव में न्यायिक प्रक्रिया के तहत रिकॉर्ड नहीं किया गया, बल्कि इसे पहले से तैयार पेन ड्राइव से कंप्यूटर में अपलोड कर प्रिंट किया गया।
बाद में न्यायिक मजिस्ट्रेट और निखिल चंद्राकर से हस्ताक्षर कराए गए ताकि यह वास्तविक दस्तावेज प्रतीत हो।


🧾 फॉरेंसिक रिपोर्ट ने खोली पोल

शिकायत में बताया गया कि 9 अक्टूबर 2025 को फॉरेंसिक विशेषज्ञ इमरान खान ने जांच रिपोर्ट सौंपी।
रिपोर्ट में पाया गया कि निखिल चंद्राकर के कथित 164 बयान में मिश्रित फॉन्ट्स (mixed fonts) का प्रयोग हुआ है, जो न्यायालय के ऑर्डर बुक्स से भिन्न है।
यह दर्शाता है कि दस्तावेज़ न्यायालय में नहीं बल्कि बाहर तैयार किया गया था।


💬 शिकायत में लगाए गए गंभीर आरोप

शिकायत में कहा गया है —

“अभियुक्त अधिकारियों को शुरू से ही पता था कि यह दस्तावेज फर्जी है। फिर भी उन्होंने इसे साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया ताकि न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सके। यह कार्य षड्यंत्रपूर्वक और दुर्भावनापूर्ण तरीके से किया गया है।”

शिकायत में यह भी अनुरोध किया गया है कि न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, रायपुर की अदालत के CCTV फुटेज और संबंधित तिथि के कोर्ट परिसर के फुटेज को सुरक्षित कर जांच की जाए।


🚨 अब क्या होगा आगे

सीजेएम रायपुर ने इस मामले में एसीबी अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
यह मामला छत्तीसगढ़ की न्यायिक और जांच प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और दस्तावेज़ जालसाजी का अभूतपूर्व उदाहरण माना जाएगा।

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