मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ‘सुजलाम भारत’ कार्यशाला में दिया जल संरक्षण का संदेश, कहा – “जल ही जीवन है”

रायपुर, 09 अक्टूबर 2025 Vishnu Deo Sai Jal Sanrakshan Workshop।
जल है तो कल है, और जल से ही कल संवरेगा।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर स्थित ओमाया गार्डन में ‘सुजलाम भारत’ के अंतर्गत आयोजित जल संरक्षण एवं जल संवर्धन कार्यशाला में यह बात कही। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जल कलश में जल अर्पित कर जल संचयन और संरक्षण का प्रतीकात्मक संदेश दिया।


💧 “जल है तो कल है” – मुख्यमंत्री का प्रेरणादायक संदेश

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कई अवसरों पर जल संकट पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यदि आज हम जल के प्रति सजग नहीं हुए, तो भविष्य में यह संकट और गहराएगा।
उन्होंने कहा कि –

“छत्तीसगढ़ के हर गांव और शहर में लोग जल संचयन के लिए प्रयासरत हैं। ऐसे आयोजनों से अनुभव साझा करने और ठोस नीतियों के निर्माण में मदद मिलती है।”

मुख्यमंत्री ने राजनांदगांव की एक महिला सरपंच का उदाहरण देते हुए बताया कि उन्होंने अपने स्तर पर सूख चुके हैंडपंपों को पुनर्जीवित करने का अभिनव कार्य किया, जिसे केंद्र सरकार ने भी सराहा।
उन्होंने कहा कि ऐसे प्रेरक उदाहरण यह दर्शाते हैं कि जनभागीदारी से जल संरक्षण एक आंदोलन का रूप ले सकता है


🌊 केलो नदी का जल अर्पण कर दिया धरती को सिंचित करने का संदेश

कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने केलो नदी का जल कलश में अर्पित किया, जो धरती के प्रति आभार और संरक्षण का प्रतीक था।
उन्होंने कहा —

“हमारी नदियाँ केवल जलधारा नहीं हैं, बल्कि हमारी संस्कृति, सभ्यता और अस्तित्व की पहचान हैं।”

मुख्यमंत्री साय ने महानदी, इंद्रावती, शिवनाथ और केलो जैसी नदियों को छत्तीसगढ़ की जीवनरेखाएँ बताते हुए कहा कि इन्हीं के संरक्षण से प्रदेश की हरियाली और समृद्धि कायम है। उन्होंने जनता से जल संरक्षण को जीवनशैली का हिस्सा बनाने की अपील की।


🏞️ सरकार ने जल संचयन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी — सचिव राजेश टोप्पो

जल संसाधन विभाग के सचिव श्री राजेश सुकुमार टोप्पो ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में ‘सुजलाम भारत’ कार्यक्रम की परिकल्पना की गई है।
उन्होंने बताया कि —

“पिछले एक वर्ष में छत्तीसगढ़ के जिलों में साढ़े तीन लाख से अधिक जल संरचनाएँ बनाई गई हैं, जिससे भू-जल स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।”

उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में 300 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञ और समाजसेवी शामिल हैं।


🌿 कार्यक्रम में शामिल हुए गणमान्यजन

इस अवसर पर पद्मश्री श्रीमती फूलबासन बाई यादव, नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. बसवराजु एस.,
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव मोहम्मद कैसर अब्दुल हक, सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, अधिकारी और नागरिक उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों से आह्वान किया कि —

“जल संरक्षण केवल सरकार का कार्य नहीं, यह हम सबकी जिम्मेदारी है। अगर हर व्यक्ति जल बचाने का संकल्प ले, तो छत्तीसगढ़ की धरती सदैव हरियाली से लहलहाती रहेगी।”

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