बीजापुर के 32 आत्मसमर्पित माओवादी बने उद्यमी, जगदलपुर में कुक्कुटपालन और बकरीपालन का प्रशिक्षण पूरा

रायपुर, 09 अक्टूबर 2025 Bijapur Surrendered Maoists Poultry Goat Training।
छत्तीसगढ़ में शांति और विकास की राह पर एक नई कहानी लिखी जा रही है। बीजापुर जिले के 32 आत्मसमर्पित माओवादियों ने अब समाज की मुख्यधारा में लौटकर स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाया है। इन सभी ने जगदलपुर स्थित क्षेत्रीय स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (RSETI) में एक महीने का कुक्कुटपालन और बकरीपालन प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया।


🐓 कुक्कुटपालन और बकरीपालन से आत्मनिर्भरता की ओर

इस प्रशिक्षण में पूर्व माओवादियों को पशुपालन के वैज्ञानिक तरीके, उन्नत नस्लों का चयन, चारा प्रबंधन, टीकाकरण, रोगों की पहचान और उपचार, तथा सरकारी योजनाओं और ऋण प्रक्रिया की जानकारी दी गई।
साथ ही उन्हें यह भी सिखाया गया कि अपने उत्पादों को स्थानीय बाजारों तक कैसे पहुंचाया जाए और स्वरोजगार के अवसरों का अधिकतम लाभ कैसे उठाया जाए।


💬 पूर्व नक्सलियों की भावनाएं

एक आत्मसमर्पित माओवादी ने कहा —

“जंगल में जीवन बहुत कठिन था, लेकिन अब हम मेहनत और ईमानदारी से जीवन जीना सीख रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पुनर्वास नीति ने हमें नई उम्मीद और पहचान दी है।”

इन प्रशिक्षणों से अब ये युवा न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि शांति और स्थिरता के प्रतीक भी बनते जा रहे हैं।


🕊️ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पुनर्वास नीति का असर

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार ने आत्मसमर्पित माओवादियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए एक ठोस पुनर्वास नीति बनाई है। इस नीति का उद्देश्य न केवल हिंसा छोड़ चुके युवाओं को रोजगार देना है, बल्कि उन्हें सम्मानजनक जीवन प्रदान करना भी है।

इस नीति के तहत आत्मसमर्पित माओवादियों को स्वरोजगार प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता, और सामाजिक पुनर्वास के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।


🌱 नई शुरुआत का प्रतीक

बीजापुर के इन पूर्व नक्सलियों की यह पहल न केवल उनके जीवन में नया अध्याय खोल रही है, बल्कि यह प्रदेश के लिए शांति और विकास की दिशा में एक प्रेरणादायक मिसाल भी बन रही है।

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