छत्तीसगढ़ में ‘गौ माता’ को मिलेगा राज्य माता का दर्जा, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की घोषणा

रायपुर, छत्तीसगढ़, 09 अक्टूबर 2025 Chhattisgarh Cow State Mother।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बुधवार शाम रायपुर में आयोजित एक धार्मिक सभा में बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही गाय को ‘राज्य माता’ (State Mother) का दर्जा देने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक जड़ों, सांस्कृतिक परंपरा और आस्था के मूल्यों को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।


🐄 माता कौशल्या की धरती पर ‘राम राज्य’ का संकल्प

मुख्यमंत्री साय ने कहा,

“छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की जन्मभूमि है और भगवान श्रीराम के ननिहाल की पवित्र भूमि है। हमारा लक्ष्य इस पावन धरती पर शांति, सद्भाव और विश्वास के माध्यम से राम राज्य की स्थापना करना है।”

उन्होंने कहा कि इस पहल से राज्य में गौ संरक्षण और संवर्धन को नई दिशा मिलेगी और समाज में आस्था तथा परंपरा के प्रति सम्मान बढ़ेगा।


⚙️ जल्द बनेगी नीति और दिशा-निर्देश

अधिकारियों के अनुसार, यह प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल (कैबिनेट) के समक्ष आगामी दिनों में पेश किया जाएगा। इसके बाद औपचारिक निर्णय लिया जाएगा।
नीति निर्माण के लिए धार्मिक विद्वानों, कानूनी विशेषज्ञों और विषय विशेषज्ञों से परामर्श लिया जाएगा ताकि इस व्यवस्था को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।


🔐 नक्सलवाद पर बोले मुख्यमंत्री — “अंतिम चरण में है माओवाद”

सभा के दौरान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर में नक्सलवाद की स्थिति पर भी कहा कि

“नक्सलवाद की रीढ़ टूट चुकी है और अब यह अपने अंतिम चरण में है। यह प्रगति ईश्वरीय आशीर्वाद और सरकार के निरंतर प्रयासों का परिणाम है।”

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बस्तर क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास के लिए प्रतिबद्ध है।


🕉️ महाराष्ट्र की तर्ज पर होगा कदम

साय ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार इस दिशा में महाराष्ट्र के उदाहरण का अनुसरण करेगी, जहाँ 2024 में गाय को ‘राज्यमाता गोमाता’ घोषित किया गया था।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में भी यह कदम देशी नस्लों की रक्षा और धार्मिक आस्था को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित होगा।


🌾 मानवता और संस्कृति के संगम की पहल

मुख्यमंत्री के इस निर्णय का समाज के विभिन्न वर्गों में स्वागत किया जा रहा है। धार्मिक संगठनों और गोसेवा समितियों ने इसे भारतीय संस्कृति की आत्मा को सम्मान देने वाला निर्णय बताया है।

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