एमसीबी, Korea district forest land encroachment protest।
कोरिया जिले के ग्राम सरईगहना में जंगल की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे और खेती को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है।
ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया कि ग्राम चिल्का के दो लोग ओदरहिया और बगईगढ़ा जंगल क्षेत्र में पेड़ों की कटाई कर जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहे हैं।
वन विभाग की टीम के कई बार समझाने के बावजूद अतिक्रमणकारियों की हरकतें जारी हैं।
गांव के लोगों ने इस मामले की शिकायत वनमंडलाधिकारी (DFO) से करते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
🌳 ग्रामीण बोले – जंगल हमारी आजीविका है, बाहरी कब्जा बर्दाश्त नहीं
ग्राम सरईगहना के ग्रामीण शिवमंगललाल पाव ने बताया,
“हमारा निस्तार – लकड़ी, चारा, इंधन सब इसी जंगल से होता है। अगर बाहरी लोग कब्जा करेंगे तो हमारी रोज़ी-रोटी खत्म हो जाएगी। यह न केवल अवैध है बल्कि हमारे अस्तित्व के लिए खतरा है।”
ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने कई बार अतिक्रमणकारियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे।
पहले भी उनके अवैध घर जेसीबी से गिराए गए थे, इसके बावजूद वे फिर जंगल की जमीन पर कब्जा करने लगे हैं।
⚠️ ग्रामीणों की चेतावनी – कार्रवाई नहीं हुई तो करेंगे सामूहिक आंदोलन
ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे सामूहिक आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
“वन विभाग को चाहिए कि वह दोषियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करे और उदाहरण बने ऐसी कार्रवाई करे,” ग्रामीणों ने कहा।
गांव की महिला सरपंच के पति रामदीन ने कहा कि
“वन विभाग को अतिक्रमण की पूरी जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जंगल की जमीन की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।”
🏛️ DFO की सख्त चेतावनी – अवैध गतिविधियों में शामिल कर्मचारियों पर भी कार्रवाई होगी
वनमंडलाधिकारी चन्द्रशेखर शंकर सिंह परदेशी ने कहा कि वन विभाग किसी भी अवैध गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा।
“अगर विभाग का कोई कर्मचारी भी गलत काम में शामिल पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी,” उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि उनकी प्राथमिकता वन विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखना है।
🌿 मानव और प्रकृति के संघर्ष का स्थानीय चेहरा
यह घटना इस बात का संकेत है कि ग्रामीण आज भी जंगल को अपनी जीवनरेखा मानते हैं, जबकि बाहरी अतिक्रमण से उनकी सुरक्षा और आजीविका दोनों खतरे में हैं।
स्थानीय लोगों की उम्मीद अब इस बात पर टिकी है कि वन विभाग जल्द कठोर कार्रवाई कर जंगल को अतिक्रमणमुक्त करेगा।
