दुर्ग, 08 अक्टूबर 2025 Durg sand mining e-auction।
दुर्ग जिले में अब रेत खदानों का आबंटन ई-नीलामी (E-Auction) प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया एमएसटीसी (MSTC) पोर्टल के जरिए संपन्न होगी। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस बार पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए रिवर्स ऑक्शन प्रणाली अपनाई जा रही है।
उप संचालक (खनिज) श्री दीपक मिश्रा ने बताया कि ई-नीलामी से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं — निविदा जारी करना, बोलीकर्ताओं का पंजीयन, तकनीकी योग्यता जांच, लॉटरी प्रक्रिया और अधिमानी बोलीदार का चयन — एमएसटीसी पोर्टल के माध्यम से की जाएंगी।
🔹 प्रशिक्षण कार्यक्रम 10 अक्टूबर को दुर्ग में
खनिज विभाग ने ई-नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है।
यह प्रशिक्षण 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को दोपहर 12 बजे से अपरान्ह 3 बजे तक दुर्ग जिला पंचायत सभागार में होगा।
इस प्रशिक्षण में दुर्ग संभाग के जिला अधिकारी और इच्छुक बोलीकर्ता (bidders) भाग लेंगे।
श्री मिश्रा ने बताया कि प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को एमएसटीसी पोर्टल पर पंजीकरण और बोली लगाने की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी।

🔹 प्रशासन ने समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए
उप संचालक खनिज ने कहा कि सभी संबंधितों को समय पर उपस्थित रहने के लिए निर्देशित किया गया है ताकि प्रशिक्षण सुचारू रूप से संपन्न हो सके।
उन्होंने यह भी कहा कि ई-नीलामी प्रणाली से राजस्व पारदर्शिता बढ़ेगी और खनिज संसाधनों का वैज्ञानिक दोहन सुनिश्चित किया जाएगा।
🔹 एमएसटीसी पोर्टल क्या है?
एमएसटीसी एक भारत सरकार का उपक्रम है, जो सरकारी संपत्तियों, खदानों और खनिज संसाधनों की ई-नीलामी के लिए एक सुरक्षित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है।
इसके माध्यम से राज्य सरकारें बोली प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाती हैं।
🔹 रेत खदानों की ई-नीलामी से क्या लाभ होंगे?
रेत खदानों की ई-नीलामी से एक ओर जहां राजस्व में वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर अवैध खनन पर नियंत्रण भी मजबूत होगा।
स्थानीय उद्यमियों को खुली प्रतिस्पर्धा के अवसर मिलेंगे और प्रशासन को बेहतर निगरानी का साधन प्राप्त होगा।
