फ्रांस में गहराया राजनीतिक संकट: प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नु ने सरकार गठन के कुछ घंटे बाद ही दिया इस्तीफा

France political crisis 2025, 6 अक्टूबर 2025 — फ्रांस में एक अभूतपूर्व राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। देश के नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नु (Sebastien Lecornu) ने अपनी सरकार की घोषणा के केवल 14 घंटे बाद ही इस्तीफा दे दिया। यह फ्रांस के इतिहास की सबसे कम अवधि वाली सरकार बन गई है।

लेकोर्नु ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए कहा कि विपक्ष और सहयोगी दलों के लगातार विरोध और “राजनीतिक अहंकार” के कारण वह “अपना काम नहीं कर सकते।”

“आपको हमेशा अपने देश को अपने दल से ऊपर रखना चाहिए,” — लेकोर्नु ने इस्तीफे के बाद कहा।

🔥 फ्रांस में राजनीतिक भूचाल

लेकोर्नु, जो राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) के करीबी माने जाते हैं, दो वर्षों में पांचवें प्रधानमंत्री थे। उनका कार्यकाल सिर्फ 27 दिनों तक चला और सरकार तो केवल 14 घंटे में गिर गई।

इस अचानक हुए इस्तीफे से फ्रांस के शेयर बाजार (CAC 40) में 1.5% की गिरावट आई, जबकि यूरो की कीमत 0.7% गिरकर $1.1665 तक पहुँच गई।

⚖️ मैक्रों पर दबाव बढ़ा

विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति मैक्रों से तुरंत इस्तीफा देने या संसद भंग कर नए चुनाव कराने की मांग की है।
फार-राइट पार्टी नेशनल रैली (RN) की नेता मरीन ले पेन ने कहा,

“यह मजाक काफी हो चुका है, अब इस नाटक का अंत होना चाहिए।”

वहीं, लेफ्ट पार्टी फ्रांस अनबाउंड की नेता माथिल्ड पैनो ने कहा,

“एक साल में तीन प्रधानमंत्री असफल हुए — अब काउंटडाउन शुरू हो गया है, मैक्रों को जाना होगा।”

💬 सरकार गठन पर असहमति

लेकोर्नु ने रविवार को मंत्रिमंडल की घोषणा की थी, लेकिन उनके कैबिनेट की सूची ने विपक्ष और सहयोगियों दोनों को नाराज़ कर दिया। किसी को यह बहुत दक्षिणपंथी (right-wing) लगी तो किसी को “पर्याप्त सख्त नहीं”।
इससे पहले कि उनकी सरकार पहली बैठक करती, उन्होंने राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंप दिया — जिसे मैक्रों ने स्वीकार कर लिया।

📉 आर्थिक असर

फ्रांस का सार्वजनिक ऋण अब GDP का 113.9% हो चुका है और घाटा EU की सीमा 3% से लगभग दोगुना है। निवेशक और रेटिंग एजेंसियां फ्रांस की अस्थिरता पर नज़र रखे हुए हैं।
IG ग्रुप के मार्केट विश्लेषक क्रिस ब्यूचैम्प के अनुसार,

“सरकारें एक के बाद एक गिर रही हैं… यही फ्रेंच बाज़ारों के लिए सबसे बड़ी चिंता है, जिसका असर पूरे यूरोप पर पड़ सकता है।”

🏛️ फ्रांस में अस्थिरता की जड़ें

1958 में बनी फिफ्थ रिपब्लिक का संविधान इसीलिए तैयार किया गया था ताकि सरकारें स्थिर रहें। लेकिन 2022 में मैक्रों के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद से फ्रांस की संसद में किसी दल को बहुमत नहीं मिला।
अब देश विभाजित संसद, बढ़ते घाटे और राजनीतिक ध्रुवीकरण से जूझ रहा है।

BFM टीवी ने मैक्रों का एक दृश्य दिखाया — वह अकेले सीन नदी के किनारे टहलते दिखे, मानो अगले कदम पर गहन विचार कर रहे हों।

🚨 अब आगे क्या?

मैक्रों के पास तीन विकल्प हैं —

  1. नए चुनाव कराना,
  2. खुद इस्तीफा देना, या
  3. एक और प्रधानमंत्री नियुक्त करना।

लेकिन अब तक उन्होंने पहले दो विकल्पों को नकारा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि “यह संकट आधुनिक फ्रांस की सबसे गहरी अस्थिरता का संकेत है।”

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