जयपुर SMS अस्पताल में आईसीयू में भीषण आग, सात मरीजों की मौत — शॉर्ट सर्किट से फैली लपटें और जहरीला धुआं

जयपुर, राजस्थान: Jaipur Sawai Man Singh Hospital (SMS) अस्पताल में सोमवार तड़के बड़ा हादसा हुआ। अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू वार्ड में शॉर्ट सर्किट से लगी भीषण आग में सात मरीजों की मौत हो गई। इस हादसे ने पूरे राजस्थान को झकझोर दिया है।

🔥 आईसीयू में मचा हड़कंप, धुएं से फैली अफरा-तफरी

अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, आग लगने की घटना देर रात 2 बजे के करीब हुई। ट्रॉमा आईसीयू में कुल 11 मरीज भर्ती थे, जबकि पास के सेमी-आईसीयू में 13 मरीज थे। हादसे के वक्त आईसीयू में मौजूद अधिकतर मरीज कोमा में थे और हिलने-डुलने की स्थिति में नहीं थे।

डॉ. अनुराग धाकड़, जो ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी हैं, ने बताया —

“आईसीयू में शॉर्ट सर्किट से आग लगी। कुछ ही मिनटों में जहरीला धुआं पूरे वार्ड में फैल गया। हमारे स्टाफ ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया और मरीजों को स्ट्रेचर और ट्रॉली की मदद से बाहर निकाला।”

😔 छह मरीजों की मौके पर मौत, एक ने दम तोड़ा

डॉ. धाकड़ ने बताया कि छह मरीजों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक ने बाद में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
मृतकों में चार पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं। पांच मरीजों की हालत अब भी गंभीर बताई जा रही है।

अस्पताल प्रशासन ने कहा कि नर्सिंग स्टाफ, वार्ड बॉय और डॉक्टरों ने तत्काल सीपीआर और प्राथमिक उपचार देकर कई मरीजों की जान बचाई। आग पर नियंत्रण पा लिया गया है और बाकी मरीजों को सुरक्षित वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।

🚒 फायर ब्रिगेड ने बचाई कई जानें

फायर ब्रिगेड की टीम ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। अधिकारियों का कहना है कि अगर टीम कुछ देर और देरी से पहुंचती, तो नुकसान और अधिक हो सकता था।

🏥 मौके पर प्रशासन और जांच के आदेश

जयपुर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री भवन से भी स्थिति की निगरानी की जा रही है।
अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट को ही कारण माना जा रहा है, लेकिन अन्य तकनीकी पहलुओं की जांच जारी है।

🕯️ शहर में शोक की लहर

घटना के बाद पूरे जयपुर में शोक की लहर है। मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाए हैं। कई लोगों ने कहा कि अगर फायर अलार्म या ऑटोमैटिक स्मोक सिस्टम सही से काम कर रहे होते, तो यह हादसा टाला जा सकता था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *