नई दिल्ली, 6 अक्टूबर 2025 — Coldrif syrup DEG Health Ministry action: देशभर में बच्चों की मौतों से जुड़ी कफ सिरप जांच के बाद केंद्र सरकार ने दवा निर्माताओं पर सख्ती बढ़ा दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे संशोधित Schedule M के नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें, अन्यथा गैर-अनुपालक इकाइयों के लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे।
यह निर्णय रविवार (5 अक्टूबर 2025) को हुई आपात बैठक के बाद लिया गया, जब तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग की रिपोर्ट में Coldrif ब्रांड के कफ सिरप के सैंपल में डाईएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) की मात्रा अनुमेय सीमा से अधिक पाई गई। यह वही रासायनिक तत्व है, जिससे हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में 10 से अधिक बच्चों की मौत होने की आशंका जताई गई थी।
तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से लिए गए सैंपल की लैब रिपोर्ट में सिरप को “मानक से घटिया गुणवत्ता वाला और DEG से मिलावटी” पाया गया। इसके बाद राज्य की औषधि नियंत्रण एजेंसी ने तुरंत उत्पादन पर रोक लगा दी और लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से की गई।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “राज्यों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे सभी कफ सिरप उत्पादों की जांच करें और Schedule M के अनुरूप Good Manufacturing Practices (GMP) को अपनाएं। जो कंपनियां इसका पालन नहीं करेंगी, उनके लाइसेंस तुरंत रद्द किए जाएंगे।”
बच्चों में खांसी की दवाओं के ‘तर्कसंगत उपयोग’ पर जोर
मंत्रालय ने कहा कि बच्चों में खांसी आमतौर पर स्वयं ठीक होने वाली स्थिति होती है, इसलिए अनावश्यक रूप से कफ सिरप का उपयोग न किया जाए। राज्यों को निर्देश दिया गया है कि डॉक्टरों और जनता के बीच सुरक्षित और विवेकपूर्ण उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए।
Schedule M क्या है?
संशोधित Schedule M, दवाओं और कॉस्मेटिक अधिनियम 1940** का हिस्सा है, जिसमें गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को सुदृढ़ किया गया है। इसमें Pharmaceutical Quality System, Quality Risk Management और Computerised Storage Systems जैसी आधुनिक आवश्यकताएँ शामिल हैं। सभी दवा इकाइयों को 31 दिसंबर 2025 तक इन नियमों के अनुरूप ढालना अनिवार्य किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को दिए निर्देश
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे:
- सभी स्वास्थ्य संस्थानों से समय पर रिपोर्टिंग सुनिश्चित करें।
- Integrated Disease Surveillance Programme (IDSP) के तहत सामुदायिक रिपोर्टिंग को मजबूत करें।
- राज्यों के बीच समन्वय बढ़ाएं ताकि दवा से जुड़ी घटनाओं की जानकारी और कार्रवाई तेज़ी से हो सके।
सरकार का यह कदम साफ संकेत देता है कि अब दवा निर्माण में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
