भोपाल/परासिया।
MP cough syrup deaths: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और आसपास के इलाकों में 9 मासूम बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। परिवारों का आरोप है कि खांसी-बुखार में डॉक्टरों ने जो ‘Coldrif’ और ‘Nextros DS’ सिरप दी, वही उनकी संतानों की मौत का कारण बनी।
शिवम, विधि, अदनान, उसैद, ऋषिका, हितांश, विकास, चंचलेश और संध्या — ये वो नाम हैं जो अब सिर्फ यादों में बचे हैं। हर परिवार की कहानी एक जैसी है: पहले बुखार, फिर सिरप, उसके बाद उल्टी-दस्त और अचानक पेशाब बंद होना। डॉक्टरों ने बताया कि यह लक्षण डायइथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) ज़हर के हैं, वही रसायन जिसने 2022 में गाम्बिया में सैकड़ों बच्चों की जान ली थी।
तमिलनाडु सरकार को जब इसी कंपनी के Coldrif Syrup की शिकायत मिली, तो उन्होंने फौरन कार्रवाई की।
- छुट्टी के दिन भी अधिकारी फैक्ट्री पहुंचे,
- सैंपल उठाए गए और 24 घंटे में लैब रिपोर्ट आ गई,
- रिपोर्ट में 48.6% DEG ज़हर की पुष्टि हुई,
- तुरंत बैन, अलर्ट और कंपनी को प्रोडक्शन रोकने का आदेश।
तमिलनाडु के ड्रग्स कंट्रोल डिप्टी डायरेक्टर एस. गुरुभारती का कहना है कि “देश में पहली बार इतने तेजी से निरीक्षण, जांच और बैन की कार्रवाई हुई।”
लेकिन मध्यप्रदेश में तस्वीर उलट है।
स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल कह रहे हैं कि “अभी तक जांच रिपोर्ट में कुछ नहीं मिला है। बाकी रिपोर्ट का इंतजार है।”
परासिया के एसडीएम शुभम यादव ने तो बच्चों की मौत का कारण “गंदा पानी और मच्छरों” तक को बता दिया।
हालांकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी मानते हैं कि बच्चों की किडनी फेल होने का कारण जहरीला पदार्थ ही है।
बच्चों के परिवार सवाल कर रहे हैं—
“अगर तमिलनाडु 24 घंटे में जांच कर बैन लगा सकता है, तो मध्यप्रदेश क्यों सिर्फ रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है? क्या नौ मासूमों की जान का जवाबदार कोई नहीं?”
राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत हुई, लेकिन वहां के स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खीमसर ने कहा कि “दवा माता-पिता ने खुद खरीदी, सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं।”
अब सवाल यह है कि जब एक राज्य बच्चों की जान बचाने के लिए तुरंत कदम उठाता है, तो दूसरा राज्य क्यों टालमटोल करता है?
