बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली शहर को तीन दिन तक मोबाइल इंटरनेट बंदी का सामना करना पड़ा, जब शुक्रवार को ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर विवाद के बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। पुलिस ने अब तक 55 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें मौलाना तौकीर रज़ा खान भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को सख्त लहजे में कहा कि “तौकीर रज़ा को ऐसा सबक सिखाया जाएगा, जिसे वह कभी नहीं भूलेंगे।” रविवार को उन्होंने पोस्टरों पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि “धर्म के प्रतीकों को सम्मान देने की जरूरत है, प्यार जताने की नहीं। कुछ लोग बच्चों के हाथ में किताब की जगह ऐसे पोस्टर पकड़ाकर समाज में अराजकता फैला रहे हैं।”

विवाद की जड़ – कानपुर से बरेली तक
यह विवाद दरअसल 4 सितंबर को कानपुर में शुरू हुआ, जब मिलाद-उल-नबी से पहले कुछ मुस्लिम युवाओं ने “I Love Muhammad” लिखा बोर्ड लगाया। हिंदू समुदाय ने इसका विरोध किया और पुलिस ने बोर्ड को हटवा दिया। इसके बाद जुलूस में पोस्टर फाड़ने की घटनाएं हुईं और नौ मुस्लिम युवकों पर एफआईआर दर्ज हुई।
इस कार्रवाई के विरोध में पूरे देश में “आई लव मोहम्मद” कैंपेन शुरू हुआ। कई जगह मुस्लिम युवाओं ने हाथों में प्लेकार्ड लेकर प्रदर्शन किया, वहीं हिंदू युवाओं ने “आई लव महादेव” और “आई लव राम” लिखे पोस्टरों के साथ जवाब दिया।
यूपी के कई जिलों — कानपुर, वाराणसी, उन्नाव, गाजीपुर, भदोही, महाराजगंज, मऊ, बाराबंकी और बरेली — में यह विवाद सड़कों पर उतर आया। इनमें सबसे हिंसक घटनाएं बरेली में दर्ज की गईं।
मौलाना तौकीर रज़ा पर आरोप
मौलाना तौकीर रज़ा, जो बरेलवी आंदोलन के संस्थापक अहमद रज़ा खान के वंशज हैं, लंबे समय से अपने विवादित बयानों और राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण चर्चा में रहे हैं। शुक्रवार को उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए बरेली में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, जबकि प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि मौलाना ने “ग़रीब लोगों को राजनीति के लिए इस्तेमाल किया”। भीड़ बेकाबू हुई और पुलिस से झड़पें हुईं। पुलिस ने उनके खिलाफ सात अलग-अलग मुकदमों में नाम दर्ज किया है।

राजनीतिक मायने
विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है। स्थानीय पत्रकार रंजीत सिंह का कहना है कि तौकीर रज़ा हमेशा सुर्खियों में रहते हैं और कई बार भाजपा को अप्रत्यक्ष फायदा पहुंचाते हैं क्योंकि वह मुस्लिम वोटों को बांटते हैं।
समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व सांसद प्रवीन सिंह एरन ने आरोप लगाया कि “भाजपा ने बेरोजगारी और अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस विवाद को हवा दी है। यह सब एक योजनाबद्ध साज़िश है।”
वहीं, भाजपा सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार ने पलटवार करते हुए कहा कि “यह विपक्ष की चाल है, जो 2027 चुनाव से पहले यूपी का माहौल बिगाड़ना चाहता है।”
