देहरादून, 1 अक्टूबर।
उत्तराखंड में वरिष्ठ पत्रकार राजीव प्रताप की मौत के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। पुलिस ने मंगलवार को इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है।
राजीव प्रताप 18 सितंबर की रात लापता हो गए थे। 20 सितंबर को उनकी क्षतिग्रस्त कार नदी किनारे मिली थी और 28 सितंबर को उनका शव उत्तरकाशी के जोशियाड़ा बैराज के पास से बरामद हुआ।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और आशंकाएँ
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मौत का कारण छाती और पेट में आई आंतरिक चोटें बताई गई हैं, जो दुर्घटना से मेल खाती हैं। शरीर पर किसी बाहरी चोट का निशान नहीं मिला।
हालांकि, परिवार का कहना है कि राजीव प्रताप को कुछ दिनों से धमकी भरे कॉल आ रहे थे। पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने कहा कि SIT इस पहलू की भी गहन जांच करेगी।
SIT की जांच का दायरा
डीजीपी सेठ के मुताबिक, SIT की अगुवाई उत्तरकाशी के डिप्टी एसपी करेंगे। जांच टीम CCTV फुटेज, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, कॉल डिटेल्स और गवाहों के बयान खंगालेगी। साथ ही, उनकी कार की तकनीकी जांच भी कराई जाएगी।
उन्होंने बताया कि राजीव प्रताप के लापता होने की सूचना मिलते ही पुलिस ने NDRF, SDRF, ड्रोन और डॉग स्क्वाड की मदद से बड़े पैमाने पर खोज अभियान चलाया था।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
पत्रकार की मौत पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस घटना को “दुखद” बताया और तुरंत, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा,
“राजीव जी की मौत की तुरंत, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच होनी चाहिए और पीड़ित परिवार को बिना देरी न्याय मिलना चाहिए।”
रहस्य बरकरार
राजीव प्रताप 18 सितंबर को अंतिम बार CCTV फुटेज में अपनी कार चलाते हुए देखे गए थे। 20 सितंबर को उनकी कार नदी किनारे मिली और 28 सितंबर को शव। अब SIT जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि यह हादसा था या इसमें कोई साजिश छिपी है।
