बिलासपुर, 30 सितंबर 2025।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रामेश सिन्हा हाल ही में बिलासपुर जिले के रहांगी ग्राम पंचायत में एक अंतिम संस्कार में शामिल हुए। वहां की स्थिति देखकर वे गहराई से व्यथित हो उठे।
शवदाह स्थल पर बिजली की व्यवस्था नहीं थी, चारदीवारी नहीं थी, न ही सही पहुंच मार्ग बना था। जगह-जगह जंगली झाड़ियां और कंटीले पौधे उग आए थे, जिसके कारण वहां सांप और जहरीले जीव-जंतु पनप रहे थे।
मुख्य न्यायाधीश सिन्हा ने जब यह बदहाल स्थिति देखी तो कहा –
“हर इंसान सम्मानजनक विदाई का हकदार है।”
अदालत ने दिया बड़ा आदेश
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रामेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्त गुरु की डिवीजन बेंच ने इस मामले में सुओ मोटू जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि पूरे छत्तीसगढ़ में अंतिम संस्कार स्थलों को उन्नत बनाने के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया जाए।
लोगों की पीड़ा और संवेदनशीलता
गांव के ग्रामीणों का कहना है कि बदहाल श्मशान भूमि के कारण रात के समय अंतिम संस्कार करना बेहद खतरनाक हो जाता है। परिजनों को टॉर्च और मोबाइल की रोशनी में दाह संस्कार करना पड़ता है।
“दुःख की घड़ी में भी हमें असुरक्षा का डर सताता है,” एक ग्रामीण ने कहा।
सरकार पर जिम्मेदारी
अदालत ने साफ कहा कि अंतिम संस्कार स्थलों की उपेक्षा मानव गरिमा के खिलाफ है और सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में ऐसे स्थानों को सुरक्षित, साफ-सुथरा और सुलभ बनाए।
अब सभी जिलों के कलेक्टर और पंचायत विभाग मिलकर यह रिपोर्ट हाईकोर्ट को प्रस्तुत करेंगे।
आगे की राह
इस आदेश को लेकर पूरे प्रदेश में चर्चा है। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के सभी श्मशान घाट और मुक्ति धाम बेहतर सुविधाओं से लैस होंगे, जिससे शोकाकुल परिवारों को सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार की सुविधा मिल सके।
