रायपुर, 30 सितंबर 2025।
छत्तीसगढ़ का बहुचर्चित 570 करोड़ रुपए का कोयला लेवी घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में 10 वरिष्ठ IAS और IPS अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की सिफारिश की है। ईडी ने यह सिफारिश प्रदेश के मुख्य सचिव अमिताभ जैन और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को भेजी है।
ऑनलाइन से ऑफलाइन आदेश बना घोटाले का जरिया
ईडी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, घोटाले का केंद्र ऑनलाइन कोयला परमिट को ऑफलाइन मोड में बदलने का आदेश था। इस आदेश के जरिए अवैध वसूली का रास्ता खुला और कोयला व्यापारियों से बड़े पैमाने पर लेवी वसूली गई।
जुलाई 2020 में तत्कालीन खनिज संचालक IAS समीर विश्नोई द्वारा जारी आदेश को इस पूरे नेटवर्क की शुरुआत माना जा रहा है।
मुख्य आरोपी और राजनीतिक साजिश का साया
इस मामले का मास्टरमाइंड कारोबारी सूर्यकांत तिवारी बताया गया है। इनके साथ-साथ वरिष्ठ IAS अधिकारी समीर विश्नोई, रानू साहू और सौम्या चौरसिया (तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव) का नाम भी सामने आया।
जनवरी 2024 में इन सभी को ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज एफआईआर के बाद गिरफ्तार किया गया था, हालांकि वर्तमान में सभी जमानत पर बाहर हैं।
गवाहियों और दस्तावेजों से खुली परतें
ईडी ने इस घोटाले में जब्त दस्तावेज़ों, वित्तीय लेन-देन के रिकॉर्ड और गवाहों के बयानों को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार की है।
इन सबूतों के आधार पर एजेंसी का मानना है कि प्रशासनिक अधिकारियों की सीधी संलिप्तता से यह अवैध वसूली संभव हुई।
कस्टम मिलिंग घोटाले में भी ईडी की दबिश
इसी बीच ईडी ने कस्टम मिलिंग घोटाले में भी नई कार्रवाई की। रायपुर, बिलासपुर और धमतरी में राहेजा और सुल्तानिया समूहों से जुड़ी ठिकानों पर छापेमारी की गई।
इन छापों में वित्तीय दस्तावेज़ और रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं। ईडी अब यह पता लगाने में जुटी है कि कहीं इन कारोबारी समूहों और प्रभावशाली अधिकारियों के बीच सांठगांठ तो नहीं रही।
आम जनता में गुस्सा और बेचैनी
राज्य में इस मामले ने आम लोगों का ध्यान खींचा है। लोग सवाल कर रहे हैं कि जब उच्च पदों पर बैठे अधिकारी ही घोटालों में शामिल पाए जाते हैं तो पारदर्शिता और सुशासन की उम्मीद कैसे की जाए?
एक स्थानीय व्यापारी ने कहा –
“कोयला व्यापार पर पहले ही कई तरह की दिक्कतें थीं, ऊपर से अवैध वसूली ने कारोबारियों की कमर तोड़ दी। अब अगर दोषियों पर सख्त कार्रवाई होती है तो ही न्याय होगा।”
राज्य सरकार और ईओडब्ल्यू अब इस पर आगे की कार्रवाई की समीक्षा करेगी। आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासन पर इस घोटाले का असर और गहराने की संभावना है।
