छत्तीसगढ़ में 86% गाड़ियां अब भी बिना HSRP: अफसर-जनप्रतिनिधियों की गाड़ियों में भी नहीं लगी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट

दुर्ग, 29 सितंबर 2025।।
छत्तीसगढ़ में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP) को लेकर राज्य सरकार और परिवहन विभाग की लाख सख्ती के बावजूद हालात चिंताजनक बने हुए हैं। प्रदेश में अब भी 86 प्रतिशत गाड़ियां बिना HSRP के चल रही हैं, जिनमें अफसरों और जनप्रतिनिधियों की गाड़ियां भी शामिल हैं।

2019 से पहले पंजीकृत सभी वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना अनिवार्य किया गया था। इसके लिए डेडलाइन भी कई बार बढ़ाई गई, लेकिन अधिकतर वाहन मालिकों ने अब तक इसे गंभीरता से नहीं लिया है।


दुर्ग जिले की तस्वीर
दुर्ग जिले में जब परिवहन विभाग की टीम ने सर्वे किया तो पाया कि जिले के अधिकांश वाहन मालिकों ने अब तक HSRP नहीं लगवाए हैं। हैरानी की बात यह है कि अफसरों और जनप्रतिनिधियों की गाड़ियों पर भी यह प्लेट नहीं है।

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा – “जब नेता और अधिकारी खुद नियमों का पालन नहीं करेंगे, तो आम जनता से कैसे उम्मीद की जा सकती है?”


क्यों जरूरी है HSRP?
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट चोरी और फर्जीवाड़े को रोकने में अहम भूमिका निभाती है। इनमें विशेष लेजर कोड और क्रोमियम-आधारित होलोग्राम होता है, जिससे वाहन की पहचान करना आसान हो जाता है। यह सड़क सुरक्षा और अपराध रोकथाम दोनों के लिए अनिवार्य है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बिना HSRP वाले वाहनों से अपराध की घटनाओं का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर देशभर में इसे लागू किया गया था।


जनता की दलील और प्रशासन की मजबूरी
वाहन मालिकों का कहना है कि प्लेट लगाने की प्रक्रिया धीमी है और ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग में दिक्कत आती है। वहीं, परिवहन विभाग का कहना है कि लोगों में जागरूकता की कमी और लापरवाही सबसे बड़ी बाधा है।


अब होगी सख्ती
परिवहन विभाग ने संकेत दिए हैं कि अब HSRP को लेकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बिना प्लेट के वाहनों पर चालान और जब्ती की कार्रवाई हो सकती है। अधिकारियों ने कहा है कि सभी वाहन मालिकों को तुरंत HSRP लगवाना चाहिए, अन्यथा उन्हें भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।


निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में 86% वाहनों का बिना HSRP चलना केवल कानून व्यवस्था ही नहीं बल्कि सड़क सुरक्षा के लिहाज से भी गंभीर चिंता का विषय है। जब तक अफसर और जनप्रतिनिधि खुद उदाहरण पेश नहीं करेंगे, तब तक आम जनता से नियमों का पालन कराने में मुश्किलें बनी रहेंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *