सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का विवादित नोटिस: हिंदी चैनलों पर उर्दू शब्दों के प्रयोग को लेकर मंत्रालय ने उठाया कड़ा कदम, विरोधों के बाद दी सफाई

नई दिल्ली, 27 सितंबर 2025: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पिछले सप्ताह टीवी9 भारतवर्ष, आजतक, एबीपी, ज़ी न्यूज़ और टीवी 18 जैसे प्रमुख हिंदी समाचार चैनलों को नोटिस भेजा, जिसमें कहा गया कि ये चैनल अपने प्रसारण में उर्दू शब्दों का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। मंत्रालय ने दावा किया कि चैनलों में 30 प्रतिशत से अधिक उर्दू शब्दों का प्रयोग हो रहा है और इस पर सुधार के लिए भाषा विशेषज्ञ की नियुक्ति करने के निर्देश भी दिए।

मंत्रालय ने यह कार्रवाई केवल एक नागरिक की शिकायत के आधार पर की थी। साथ ही चैनलों को पंद्रह दिनों के भीतर इस शिकायत पर उठाए गए कदमों की जानकारी मंत्रालय और शिकायतकर्ता दोनों को देने का आदेश भी जारी किया।

सामाजिक और भाषाई दृष्टिकोण:
विशेषज्ञों और भाषाविदों का कहना है कि यह कदम भाषाई भेदभाव और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने वाला है। उर्दू भाषा केवल मुसलमानों की भाषा नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत का अभिन्न हिस्सा है। हिंदी और उर्दू का संगम, जिसे गंगा-जमुनी तहजीब के रूप में जाना जाता है, भारतीय साहित्य और समाज की समृद्धि का प्रतीक है।

इतिहास में पण्डित चन्द्रभान ब्रहमन जैसे कवि उर्दू में काव्य रचना कर चुके हैं और स्वतंत्रता संग्राम में भी उर्दू का व्यापक योगदान रहा है। उर्दू केवल अल्पसंख्यकों की भाषा नहीं, बल्कि सभी धर्मों और वर्गों के लोगों की साझा भाषा रही है।

सरकार की सफाई और विरोध:
देशभर में विरोध और आलोचनाओं के बाद मंत्रालय ने फिलहाल नोटिस के दावों का खंडन किया। मंत्रालय ने कहा कि यह कार्रवाई केवल एक दर्शक की शिकायत पर की गई थी और भाषा विशेषज्ञ नियुक्ति का आदेश फिलहाल केवल सुझाव स्वरूप था।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की हरकतें केवल सांप्रदायिक विभाजन बढ़ाने और असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए की जाती हैं। वे यह भी चेतावनी देते हैं कि भाषाई भेदभाव और सांप्रदायिक उकसावे से देश की सामाजिक एकता प्रभावित हो सकती है।

यह घटना इस बात का प्रमाण है कि भाषा और मीडिया के माध्यम से राजनीतिक और सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिशें लगातार जारी हैं, और नागरिकों को सचेत रहने की आवश्यकता है।

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