दुर्ग, 26 सितम्बर 2025।
शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर सत्तीचौरा माँ दुर्गा मंदिर, गंजपारा में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। पांचवे दिन चौथ तिथि पर आयोजित दादी राणी सती जी के मंगलपाठ में सैकड़ों महिलाएं चुनरी वाली साड़ी पहनकर बड़ी श्रद्धा के साथ शामिल हुईं और भक्ति भजनों की प्रस्तुति पर देर रात तक झूमती रहीं।
मंगलपाठ के दौरान मंदिर परिसर ‘दादी आई है, मेरी मैया मेरे घर आई रे’, ‘आज है दादी अमावस्या’, ‘श्री राणी सती दादी की जय’ और ‘दे दे थोड़ा प्यार दादी’ जैसे भक्ति गीतों से गूंज उठा। महिलाएं भावविभोर होकर नृत्य करती नज़र आईं।

कथामृत और सांस्कृतिक रस्में
कार्यक्रम का आयोजन दादी परिवार सत्तीचौरा माँ दुर्गा मंदिर महिला समिति द्वारा किया गया। इस अवसर पर परशुराम महिला मंडल दुर्ग की महिलाओं ने अमृतवाणी सुनाकर श्रद्धालुओं को कथामृत का रसपान कराया। आयोजिका वीणा सुधीर राठी ने बताया कि मंगल पाठ के दौरान दादी जी के जन्म प्रसंग में श्रद्धालुओं को मिठाई, लड्डू, खिलौने और चॉकलेट वितरित किए गए। शिक्षा रस्म के तहत छोटे-छोटे बच्चों को कॉपी और पेन भेंट किए गए।
दादी जी के विवाह प्रसंग का मंचन भी विशेष आकर्षण रहा, जिसमें मेहंदी और हल्दी की रस्में निभाई गईं। सभी महिलाओं को चुनरी भेंट कर विवाह बारात में शामिल होने का आमंत्रण दिया गया। चुनरी पहनकर महिलाएं नृत्य करती हुई दादी जी के विवाह प्रसंग में सम्मिलित हुईं।

झांकियां और आकर्षण
महोत्सव में अखंड ज्योत, जन्मोत्सव, बधाई उत्सव, मुकलावा उत्सव और महाप्रसादी मुख्य आकर्षण रहे। छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत झांकी ‘दादी चली स्कूल पढ़ने को’ ने उपस्थित जनों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम के दौरान खाटू श्याम बाबा और बालाजी महाराज के भजनों का भी सुमधुर गायन किया गया। देर रात तक महिलाएं भक्ति रस में डूबी रहीं और वातावरण धर्ममय बना रहा।
महिलाओं की बड़ी सहभागिता
इस अवसर पर महिला समिति की बड़ी संख्या में सदस्याएँ मौजूद रहीं जिनमें प्रमुख रूप से किरण शर्मा, चंचल शर्मा, डॉली राठी, संगीता शर्मा, मिथला देवी शर्मा, चंदा शर्मा, पुष्पा राठी, सरिता शर्मा, अर्चना शर्मा, अनिता अग्रवाल, नंदनी भूतड़ा, सुप्रिया भूतड़ा, अंबिका पांडेय, सुमन शर्मा, मोना शर्मा, कविता शर्मा, कल्पना राजपूत, लक्ष्मी यादव, ममता अग्रवाल सहित सैकड़ों महिलाएं सम्मिलित हुईं।

मंदिर परिसर में देर रात तक भक्ति, भजन और नृत्य की गूंज सुनाई देती रही और श्रद्धालुओं ने इसे दिव्य अवसर के रूप में अनुभव किया।
