नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (IAF) का गौरव और छह दशकों से देश की सुरक्षा का अहम हिस्सा रहा MiG-21 लड़ाकू विमान आज आधिकारिक रूप से इतिहास बन गया। चंडीगढ़ एयरफोर्स बेस पर आयोजित भव्य विदाई समारोह में एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने स्वयं अंतिम उड़ान (Sortie) का नेतृत्व किया।
MiG-21 विमानों ने आकाश में तीन विमानों की उल्टी ‘V’ संरचना (Inverted V Formation) में उड़ान भरी, मानो राष्ट्र को अंतिम सलामी दे रहे हों। समारोह में वायुसेना के BAe Hawk Mk132 ट्रेनर विमान और सूर्य किरण ऐरोबेटिक्स टीम ने भी अद्भुत हवाई करतब दिखाए, जिससे उपस्थित जनसमूह भावुक हो उठा।
अंतिम उड़ान के बाद जब एयर चीफ मार्शल ने परंपरागत रूप से विमान का Form 700 लॉगबुक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपा, तो यह क्षण एक युग के अंत की औपचारिक मुहर साबित हुआ।
रक्षा मंत्री का संबोधन
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भावुक शब्दों में कहा—
“1971 के युद्ध से लेकर कारगिल संघर्ष तक, या फिर बालाकोट एयरस्ट्राइक से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक, कोई भी ऐसा पल नहीं रहा जब MiG-21 ने हमारी वायुसेना को अपार शक्ति न दी हो। यह विमान केवल मशीन नहीं, बल्कि वीरता और साहस की जीवित पहचान रहा है।”
फॉर्म 700 क्या है?
फॉर्म-700 किसी भी लड़ाकू विमान की तकनीकी डायरी होती है। इसमें विमान की मेंटेनेंस हिस्ट्री, तकनीकी गड़बड़ियों, और सिस्टम से जुड़ी हर समस्या का रिकॉर्ड दर्ज होता है। यह दस्तावेज हर उड़ान के दौरान विमान के साथ रखा जाता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर तुरंत उसकी सेहत का आकलन हो सके।
MiG-21 के फॉर्म-700 के सौंपे जाने के साथ ही इसे आधिकारिक तौर पर वायुसेना की सेवा सूची से हटा दिया गया है।
मानवीय भावनाओं से जुड़ा विमान
MiG-21 को अक्सर “वायुसेना का वर्कहॉर्स” कहा गया है। पायलटों की कई पीढ़ियां इस विमान से प्रशिक्षित हुईं और युद्ध के मैदान में इसके जरिए दुश्मनों को मात दी। अंतिम उड़ान देखने पहुंचे पूर्व वायुसेना अधिकारी भावुक होकर कहते सुने गए—
“MiG-21 हमारे खून में है। यह विमान अब सिर्फ म्यूजियम में दिखेगा, लेकिन इसकी गर्जना हमेशा कानों में गूंजेगी।”
आज के समारोह ने साफ कर दिया कि MiG-21 केवल एक लड़ाकू विमान नहीं था, बल्कि यह देशभक्ति, पराक्रम और विश्वास का प्रतीक था।
