छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने CBI को फिर शुरू करने का दिया आदेश: दिव्यांग कल्याण संस्थानों में करोड़ों की गड़बड़ी का मामला

रायपुर:
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक बड़े फैसले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को 2020 में दर्ज मामले की जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया है। यह मामला राज्य में दिव्यांगों के कल्याण के लिए बनाए गए दो संस्थानों—स्टेट रिसोर्स सेंटर (SRC) और फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (PRRC)—में कथित तौर पर करोड़ों रुपये के घोटाले से जुड़ा है।

न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू और न्यायमूर्ति संजय कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के बाद दिया। यह याचिका 2018 में कुंदन सिंह ठाकुर नामक व्यक्ति ने दायर की थी, जिन्होंने वित्तीय अनियमितताओं और फंड की हेराफेरी का आरोप लगाया था।

कैसे सामने आया मामला?

कुंदन सिंह, जो 2008 में एक केंद्र में अनुबंध पर नियुक्त हुए थे, ने हाईकोर्ट में अपनी सेवा नियमित करने की मांग की थी। इस दौरान उन्हें पता चला कि उनका वेतन नियमित रूप से नकद निकाला जा रहा है और उन्हें झूठे रिकॉर्ड में “सहायक ग्रेड-II” कर्मचारी दिखाया गया है। इसी से उन्हें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का संदेह हुआ और उन्होंने सीबीआई जांच की मांग करते हुए याचिका दायर की।

आरोप क्या हैं?

  • SRC (2004 में गठित): यह समाज कल्याण विभाग के अधीन दिव्यांगों के लिए योजनाओं का नोडल एजेंसी था, जिसे 2019 में भंग कर दिया गया।
  • PRRC (2012 में स्थापित): इसका उद्देश्य दिव्यांगों को कृत्रिम अंग और उपचार उपलब्ध कराना था।
  • याचिका में कहा गया कि PRRC केवल कागजों पर चल रहा था। कर्मचारियों की फर्जी सूची बनाकर वेतन निकाला जा रहा था।
  • SRC का खाता कभी ऑडिट के लिए प्रस्तुत नहीं किया गया।
  • हेराफेरी का स्तर इतना बड़ा था कि यह कई सौ करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है।

कोर्ट की टिप्पणियाँ

हाईकोर्ट ने कहा, “रिकॉर्ड से prima facie प्रतीत होता है कि बड़े पैमाने पर धन की गड़बड़ी हुई है, जिससे राज्य को भारी नुकसान हुआ है और सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।”

राज्य सरकार की ओर से दाखिल हलफ़नामे में भी 31 वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हुई।

सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट तक

2020 में हाईकोर्ट ने सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने और रिकॉर्ड जब्त करने का आदेश दिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट पहुँचे एक पक्ष ने दलील दी कि सभी संबंधित पक्षों को सुना नहीं गया। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर मामला पुनर्विचार के लिए वापस भेजा।
अब सभी पक्षों को नोटिस देने के बाद हाईकोर्ट ने दोबारा जांच का आदेश दिया है।

नया आदेश

  • CBI को 2020 में दर्ज FIR के आधार पर जांच तुरंत आगे बढ़ाने का आदेश।
  • 15 दिनों के भीतर सभी संबंधित रिकॉर्ड ज़ब्त करने को कहा गया।
  • निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच जल्द से जल्द पूरी करने के निर्देश।
  • पूर्व मंत्री रेनूका सिंह का नाम याचिका में था, लेकिन चूंकि उनके खिलाफ कोई विशेष राहत नहीं मांगी गई, इसलिए आदेश उनसे संबंधित नहीं है।

मानवीय पहलू

यह मामला सिर्फ़ वित्तीय अनियमितताओं का नहीं, बल्कि दिव्यांग जनों के अधिकारों और कल्याण से जुड़ा है। करोड़ों रुपये की यह राशि जिनके पुनर्वास, कृत्रिम अंग और शिक्षा-स्वास्थ्य पर खर्च होनी चाहिए थी, वह कागज़ी कर्मचारियों और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई।

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