दुर्ग, 25 सितंबर 2025।
न्यू आमापारा के निवासी श्री हेमंत साहू, जो छत्तीसगढ़ स्टेट गैरेज, रायपुर में वाहन चालक हैं, ने अपने देहदान का संकल्प लिया और वसीयत नवदृष्टि फाउंडेशन के सदस्यों कुलवंत भाटिया, हरमन दुलई और प्रभुदयाल उजाला को सौंपी।
प्रेरणा का स्रोत
हेमंत साहू के पिता श्री सदौऊ राम साहू ने 2020 में अपने देहदान का संकल्प लिया था। पिता से प्रेरित होकर हेमंत साहू ने यह निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य है कि उनके जाने के बाद उनकी आँखों से दो लोगों को नई रोशनी मिले और भविष्य के डॉक्टरों को रिसर्च हेतु मृत देह (काडावेर) उपलब्ध हो। उनका कहना था, “यदि मेरा मानव जीवन दूसरों के लिए सार्थक साबित हो, तो यही मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।”
श्री सदौऊ राम साहू ने भी कहा कि उनके पुत्र के इस निर्णय से उन्हें हृदय से खुशी मिली और वह चाहते हैं कि पूरा परिवार और समाज इस नेक कार्य में आगे आए।
कार्यक्रम और जागरूकता
श्री साहू के निवास पर समाज और परिवार के अनेक लोग उपस्थित थे। हरमन दुलई और प्रभुदयाल उजाला ने उपस्थित लोगों को नेत्रदान, त्वचादान और देहदान के महत्व और भ्रांतियों के निवारण के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
नवदृष्टि फाउंडेशन के सदस्य जितेंद्र हासवानी ने कहा कि संस्था लगातार लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रही है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं, और अब लोग स्वस्फूर्त ही देहदान और नेत्रदान हेतु सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई देहदान हेतु मार्गदर्शन चाहता है, तो संस्था के सदस्यों से संपर्क कर सकता है या फोन नंबर 8839324601 / 9827190500 पर मार्गदर्शन ले सकता है।
फाउंडेशन के सदस्यों की भागीदारी
नवदृष्टि फाउंडेशन की ओर से अनिल बल्लेवार, कुलवंत भाटिया, राज आढ़तिया, प्रवीण तिवारी, मुकेश आढ़तिया, मंगल अग्रवाल, हरमन दुलई, रितेश जैन, जितेंद्र हासवानी, किरण भंडारी, उज्जवल पींचा, सत्येंद्र राजपूत, सुरेश जैन, राजेश पारख, पीयूष मालवीय, दीपक बंसल, विकास जायसवाल, मुकेश राठी, प्रभुदयाल उजाला, प्रमोद बाघ, सपना जैन, यतीन्द्र चावड़ा, जितेंद्र कारिया, बंसी अग्रवाल, अभिजीत पारख, मोहित अग्रवाल, चेतन जैन, दयाराम टांक, विनोद जैन, राकेश जैन ने हेमंत साहू के निर्णय का स्वागत किया और परिवार को साधुवाद दिया।
यह कार्यक्रम समाज में देहदान और नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाने और मानव जीवन को सार्थक बनाने की दिशा में एक प्रेरक कदम साबित हुआ।
