नई दिल्ली, 25 सितंबर 2025।
एयर इंडिया की घातक विमान दुर्घटना को लेकर नया विवाद सामने आया है। जून में अहमदाबाद से उड़ान भरते ही दुर्घटनाग्रस्त हुए एयर इंडिया फ्लाइट 171 के कप्तान कैप्टन सुमीत सभरवाल के पिता ने भारत की विमानन दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
91 वर्षीय पुष्कर राज सभरवाल, जो खुद भारत के विमानन सुरक्षा नियामक के पूर्व अधिकारी रहे हैं, ने ईमेल और पत्राचार के जरिए कहा है कि AAIB के अधिकारियों ने 30 अगस्त को उनके घर जाकर संवेदना प्रकट करने के बहाने मुलाकात की, लेकिन बातचीत के दौरान उनके बेटे पर आरोप लगाने जैसे संकेत दिए।
पिता का आरोप: “बेटे को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है”
17 सितंबर को फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) को भेजे ईमेल में पुष्कर राज सभरवाल ने लिखा:
“AAIB अधिकारियों ने मेरे बेटे पर इशारों-इशारों में आरोप लगाया कि उसने टेकऑफ के तुरंत बाद फ्यूल कंट्रोल स्विच RUN से CUTOFF कर दिए। यह निष्कर्ष उन्होंने कथित ‘लेयर्ड वॉइस एनालिसिस’ और चयनात्मक कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) की व्याख्या के आधार पर निकाला।”
सभरवाल का कहना है कि ऐसी बातें जांच की निष्पक्षता को प्रभावित करती हैं और परिवार की पीड़ा बढ़ाती हैं।
हादसा और प्रारंभिक रिपोर्ट
जून में हुए इस हादसे में 242 यात्रियों में से 241 की मौत हुई थी, साथ ही जमीन पर 19 लोगों की भी जान गई।
जुलाई में जारी AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया था कि टेकऑफ के तुरंत बाद विमान के दोनों इंजनों के फ्यूल स्विच लगभग एक साथ RUN से CUTOFF हो गए थे।

कॉकपिट रिकॉर्डिंग के अनुसार, एक पायलट ने दूसरे से पूछा—“तुमने फ्यूल क्यों बंद किया?”, जिस पर जवाब आया—“मैंने ऐसा नहीं किया।”
अमेरिकी अधिकारियों की प्रारंभिक जांच का हवाला देते हुए एक सूत्र ने बताया था कि रिकॉर्डिंग से संकेत मिलता है कि कैप्टन सभरवाल ने फ्यूल सप्लाई बंद की थी, जबकि सह-पायलट ने उनसे उसे पुनः बहाल करने को कहा था।
पायलट संघ की प्रतिक्रिया
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने AAIB अधिकारियों की इस हरकत की कड़ी निंदा की और कहा कि इस मुद्दे को नागरिक उड्डयन मंत्री के समक्ष उठाया गया है।
FIP अध्यक्ष कैप्टन सी.एस. रंधावा ने कहा:
“किसी भी न्यायालय में जज या अभियोजक पीड़ित परिवार के घर जाकर इस तरह से पूछताछ नहीं करते। यह अनुचित और गैर-पेशेवर है।”
न्याय की अपील और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
पुष्कर राज सभरवाल ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को लिखे 29 अगस्त के पत्र में भी मांग की थी कि सरकार अलग से निष्पक्ष और पारदर्शी जांच कराए।
उन्होंने लिखा:
“मेरे बेटे की गरिमा और जांच प्रक्रिया की निष्पक्षता सुरक्षित रहनी चाहिए। चयनात्मक जानकारी सार्वजनिक करने से अटकलें बढ़ रही हैं और परिवार को मानसिक आघात पहुंच रहा है।”
इस बीच, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से जवाब मांगा है। अदालत में दाखिल एक जनहित याचिका में स्वतंत्र जांच की मांग की गई है।
मानवीय पहलू
जहां एक ओर दुर्घटना में अपने बेटे को खो चुके वृद्ध पिता न्याय और सच्चाई की गुहार लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जांच एजेंसियों पर “पूर्वाग्रहपूर्ण रवैये” का आरोप लग रहा है। यह घटना केवल तकनीकी जांच तक सीमित नहीं रह गई, बल्कि विश्वास, गरिमा और पारदर्शिता की परीक्षा बन चुकी है।
