नई दिल्ली, 25 सितंबर 2025।
लद्दाख में शिक्षा और सामाजिक आंदोलनों का चेहरा रहे प्रसिद्ध शिक्षाविद और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक एक बार फिर सुर्खियों में हैं। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने उनकी संस्था स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का एफसीआरए (Foreign Contribution Regulation Act) लाइसेंस रद्द कर दिया है।
मंत्रालय ने यह कार्रवाई विदेशी चंदे में कथित अनियमितताओं और “राष्ट्रीय हितों के खिलाफ” फंड ट्रांसफर का हवाला देते हुए की।
मंत्रालय के आरोप और विसंगतियाँ
गृह मंत्रालय ने SECMOL के खातों की जांच के दौरान कई बिंदुओं पर सवाल उठाए—
- 2021-22 में सोनम वांगचुक द्वारा ₹3.5 लाख एफसीआरए खाते में जमा करना, जिसे मंत्रालय ने धारा 17 का उल्लंघन बताया।
- ₹3.35 लाख को “एफसी दान” बताया गया, लेकिन यह एफसीआरए खाते में दर्ज नहीं था।
- स्थानीय फंड ₹54,600 को गलती से एफसीआरए खाते में ट्रांसफर किया गया।
- स्वीडन से आया ₹4.93 लाख का फंड जलवायु परिवर्तन, पलायन, खाद्य सुरक्षा और जैविक खेती पर कार्यशालाओं के लिए मिला, लेकिन मंत्रालय का कहना है कि “राष्ट्र की संप्रभुता” पर अध्ययन हेतु विदेशी चंदा स्वीकार्य नहीं है।
मंत्रालय ने साफ कहा कि SECMOL की सफाई संतोषजनक नहीं है और एफसीआरए की धारा 14 के तहत संस्था का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है।
सीबीआई जांच और मौजूदा हालात
इस कदम से पहले सीबीआई ने SECMOL और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) की वित्तीय जांच शुरू की थी। सीबीआई की टीम पिछले एक हफ्ते से लद्दाख में वित्तीय दस्तावेजों की जांच कर रही है।
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब लद्दाख में राज्य का दर्जा और संवैधानिक गारंटी की मांग को लेकर उग्र विरोध-प्रदर्शन चल रहे हैं। बुधवार को हिंसक झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय और पुलिस वाहन को आग के हवाले कर दिया था।
केंद्र ने इस हिंसा के लिए सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया, जबकि वांगचुक ने युवाओं की नाराजगी को “छह साल की बेरोजगारी और अधूरे वादों” का परिणाम बताया।
वांगचुक का जवाब और चिंता
पीटीआई से बातचीत में सोनम वांगचुक ने कहा:
“वे कहते हैं कि हमने एफसीआरए का उल्लंघन किया। लेकिन यह फंड संयुक्त राष्ट्र, स्विस यूनिवर्सिटी और इटैलियन संस्था से ज्ञान-साझाकरण सेवाओं के लिए मिला था, जिस पर हमने टैक्स भी अदा किया है।”
उन्होंने बताया कि जांच दल पहले 2022–24 की अवधि देख रहा था, लेकिन अब 2020 और 2021 के वित्तीय दस्तावेज भी मांगे जा रहे हैं।
वांगचुक ने आरोप लगाया कि हाल के महीनों में उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है—कभी देशद्रोह का मामला, कभी आयकर नोटिस, कभी जमीन विवाद। उन्होंने आशंका जताई कि सरकार उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत दो साल जेल भेजने की तैयारी कर रही है।
“मैं इसके लिए तैयार हूँ, लेकिन जेल में गया सोनम वांगचुक शायद उन्हें और बड़ी मुश्किल में डाल दे,” उन्होंने कहा।
मानवीय पहलू
लद्दाख के हजारों युवाओं के लिए शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक माने जाने वाले सोनम वांगचुक अब सरकार के निशाने पर हैं। जहां एक ओर सरकार उन पर “राष्ट्रीय हितों के खिलाफ काम” का आरोप लगा रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय जनता उन्हें अपने भविष्य और उम्मीदों की आवाज मान रही है।
