महिला आईटीआई भिलाई की उमा ने रचा इतिहास, स्टेनोग्राफी ट्रेड में देशभर में प्रथम स्थान

दुर्ग, 25 सितंबर 2025।
महिला आईटीआई भिलाई की स्टेनोग्राफी एण्ड सेक्रेट्रियल असिस्टेंट (हिन्दी) ट्रेड की प्रशिक्षणार्थी सुश्री उमा ने अपने कौशल और समर्पण से नया कीर्तिमान स्थापित किया है। अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित परीक्षा में उमा ने देशभर में प्रथम स्थान प्राप्त कर छत्तीसगढ़ का मान बढ़ाया।

भारत के कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने 24 सितंबर को उन 35 प्रशिक्षणार्थियों की सूची जारी की, जिन्होंने अपने-अपने ट्रेड्स में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया। इस सूची में छत्तीसगढ़ से अकेली प्रतिनिधि बनी उमा ने साबित किया कि सच्ची मेहनत और उचित मार्गदर्शन से कोई भी ऊँचाइयों को छू सकता है।

प्रधानमंत्री से सम्मान पाने की तैयारी

इस शानदार उपलब्धि के लिए उमा को आगामी 02 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित होने वाले चौथे कौशल दीक्षांत समारोह में स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हाथों सम्मानित किया जाएगा। यह क्षण न केवल उमा और उनके परिवार के लिए गौरवपूर्ण होगा, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है।

सफलता का श्रेय

अपनी सफलता पर उमा ने कहा कि यह उपलब्धि उन्हें उच्चस्तरीय प्रशिक्षण, आत्मविश्वास और मार्गदर्शकों के सहयोग से मिली है। उन्होंने विशेष रूप से अपने शिक्षकों और विभाग के अधिकारियों का आभार व्यक्त किया।

छत्तीसगढ़ में कौशल विकास की नई दिशा

राज्य अपनी स्थापना का रजत जयंती वर्ष मना रहा है और इसी दौरान यह सफलता राज्य के कौशल विकास प्रयासों को और भी मजबूती देती है। शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं में प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुधारने और युवाओं को रोजगार से जोड़ने की दिशा में राज्य सरकार लगातार गंभीर प्रयास कर रही है।

रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग के संचालक श्री विजय दयाराम के मार्गदर्शन में मिले बेहतर प्रशिक्षण का परिणाम ही है कि उमा जैसी प्रतिभाएँ राष्ट्रीय स्तर पर चमक रही हैं।

दुर्ग संभाग के संयुक्त संचालक श्री आर.बी. तिवारी और संस्था के प्राचार्य श्री टी.के. सातपुते ने उमा को हार्दिक बधाई दी और इस उपलब्धि का श्रेय विभागीय नेतृत्व को भी दिया।

मानवीय पहलू

उमा की सफलता की कहानी न सिर्फ मेहनत और लगन का प्रमाण है, बल्कि यह उन सभी युवा प्रशिक्षणार्थियों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। यह उपलब्धि यह संदेश देती है कि कौशल, समर्पण और सही मार्गदर्शन से असंभव भी संभव हो सकता है।

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