रायपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने आज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र और छत्तीसगढ़ एक्साइज डिपार्टमेंट घोटाले में आरोपी चैतन्य बघेल की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया। यह घोटाला 2019 से 2023 तक चलने वाले कथित भ्रष्टाचार का हिस्सा है, जिसमें करोड़ों रुपये की अवैध कमाई करने का आरोप लगा है।
एनोफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW/ACB) ने इस मामले में दर्ज अभियोग में चैतन्य बघेल को शीर्ष नेताओं में से एक बताया गया है। उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, आईपीसी की कई धाराओं के तहत आरोप हैं, जिनमें रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज़ों का प्रयोग और आपराधिक साजिश शामिल हैं।
आरोपों का विवरण
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच सरकारी अधिकारियों और देशी शराब मालिकों के गठजोड़ से एक नया “सिंडिकेट” बना, जो सरकारी शराब दुकानों के विपरीत अवैध शराब की आपूर्ति और नकली होलोग्राम का प्रयोग कर करोड़ों की कमाई करता रहा। आरोप है कि चैतन्य बघेल ने इस सिंडिकेट के लेखा-जोखा की जिम्मेदारी संभाली और 1000 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई में शामिल था। इसी मामले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर 18 जुलाई 2025 को चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया था।
अग्रिम जमानत अस्वीकृति का कारण
रायपुर की एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने भी अग्रिम जमानत याचिका खारिज की थी। उच्च न्यायालय के जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की एकल पीठ ने भी आज याचिका को सीधे तौर पर अस्वीकृत कर दिया।
न्यायालय ने माना कि आरोपी जांच में बाधा डाल रहा है, साक्ष्यों को नष्ट करने और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका है, इसलिए गिरफ्तारी आवश्यक थी। आरोपों के अनुसार आरोपी ने जांच एजेंसियों के समक्ष आवश्यक जानकारी छिपाई और सहयोग नहीं किया।
आरोपी की दलीलें
चैतन्य बघेल की ओर से दलील दी गई कि गिरफ्तारी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के लिए कोई वैध आधार नहीं है और यह सिर्फ बदले की कार्रवाई है। उनका कहना था कि पिछले तीन वर्षों से कोई समन नहीं भेजा गया, और गिरफ्तारी के लिए लिखित कारणों को भी ठीक से रिकॉर्ड नहीं किया गया।
इस पूरी कानूनी लड़ाई में छत्तीसगढ़ का एक्साइज डिपार्टमेंट घोटाला और राजनीतिक परिदृश्य दोनों ही नई बहस का विषय बने हुए हैं।
