मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र पुलिस से जवाब तलब किया है, जब यूट्यूबर-पत्रकार स्नेहा बरवे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। बरवे का आरोप है कि उन्हें जुलाई 2025 में रिपोर्टिंग के दौरान लोहे की रॉड से बुरी तरह पीटा गया था और तब से उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंकाड की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की—
“हमें पता है कि ऐसा हो रहा है। पत्रकारों को परेशान किया जा रहा है। जो भी इनके खिलाफ रिपोर्ट करता है, उसे परेशान करने की कोशिश की जाती है।”
घटना का विवरण
बरवे ने अदालत को बताया कि 4 जुलाई 2025 को पुणे में एक कथित अवैध निर्माण पर रिपोर्टिंग करते समय उन पर हमला हुआ। इस दौरान हमलावरों ने उन्हें लोहे की रॉड से पीटा, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गईं। इसके बाद उन्हें कई धमकी भरे संदेश भी मिले।
उन्होंने सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस को तीन बार पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। मजबूर होकर उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।
अदालत में दलीलें
बरवे के वकील मिहिर देसाई ने कोर्ट को बताया कि उनकी मुवक्किल सरकारी नीति के अनुसार पुलिस सुरक्षा का खर्च उठाने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमले का वीडियो सबूत मौजूद है, जिसमें साफ़ दिखाई देता है कि उन पर लोहे की रॉड से हमला किया गया।
हालांकि कोर्ट ने यह आपत्ति जताई कि याचिका सही तरह से तैयार नहीं की गई है और इसमें गवाहों के हलफनामे जैसे जरूरी दस्तावेज़ शामिल नहीं हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया और अगली सुनवाई की तारीख 29 सितम्बर 2025 तय की।
पत्रकारों पर बढ़ते हमले
अदालत ने सुनवाई के दौरान इस चिंता को भी उजागर किया कि हाल के दिनों में पत्रकारों के साथ उत्पीड़न और हमले की घटनाएं बढ़ी हैं। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि प्रेस की स्वतंत्रता और सुरक्षा लोकतंत्र की रीढ़ है और ऐसे मामलों को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
