‘स्वस्थ नारी – सशक्त परिवार’ अभियान: छत्तीसगढ़ में महिला स्वास्थ्य सम्मेलन दिवस उत्साहपूर्वक संपन्न, हजारों महिलाओं को मिला लाभ

रायपुर, 23 सितंबर।
छत्तीसगढ़ में महिलाओं के स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता को लेकर चलाए जा रहे राज्यव्यापी अभियान ‘स्वस्थ नारी – सशक्त परिवार’ के अंतर्गत आज महिला स्वास्थ्य सम्मेलन दिवस बड़े उत्साह और व्यापक भागीदारी के साथ संपन्न हुआ।

इस अवसर पर ग्रामीण और शहरी अंचलों से हजारों महिलाएं स्वास्थ्य जांच शिविरों, टीकाकरण सत्रों, पोषण संवादों और जनजागरूकता कार्यक्रमों में शामिल हुईं। आयोजन का मुख्य उद्देश्य था—महिलाओं को समग्र स्वास्थ्य सेवाओं, मातृत्व संबंधी देखभाल और जागरूकता से जोड़ना, ताकि वे आत्मनिर्भर और सशक्त बन सकें।

गांव-गांव तक पहुंची स्वास्थ्य सेवाएं

VHSND (Village Health Sanitation and Nutrition Day) सत्रों के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने महिलाओं की हीमोग्लोबिन, रक्तचाप और शर्करा स्तर की जांच की।
इस दौरान:

  • 1,889 गर्भवती महिलाओं को आवश्यक टीकाकरण, पोषण परामर्श और आयरन-कैल्शियम की खुराक दी गई।
  • किशोरी बालिकाओं को मासिक धर्म स्वच्छता, सेनेटरी नैपकिन प्रयोग और संक्रमण से बचाव के उपाय बताए गए।
  • महिलाओं को संतुलित आहार, स्वच्छ जल और नियमित जांच के महत्व के साथ-साथ रोग-निवारण के उपायों पर जागरूक किया गया।

आंकड़े बोलते हैं

कार्यक्रम के दौरान प्राप्त आंकड़ों के अनुसार:

  • 6,447 शिशुओं की स्वास्थ्य जांच की गई।
  • 23,000 से अधिक टीकाकरण संपन्न हुए।
  • बड़ी संख्या में किशोरियों को मासिक धर्म प्रबंधन और स्वच्छता प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

महिलाओं की कहानियों में झलका आत्मविश्वास

गांव से आईं एक गर्भवती महिला ने कहा, “पहले हमें इतनी जांच और परामर्श आसानी से नहीं मिलते थे, लेकिन अब पास में ही शिविर लगने से सुविधाएं घर के नजदीक मिल रही हैं।”
एक किशोरी ने साझा किया कि “मासिक धर्म से जुड़ी जानकारी और नैपकिन वितरण से हमें बहुत मदद मिली, अब हम स्कूल में भी बिना झिझक जा सकते हैं।”

आगे की योजना

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने बताया कि आने वाले सप्ताह में राज्य के सभी जिलों में स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएंगे। इनमें विशेष रूप से हाई-रिस्क प्रेगनेंसी, कुपोषण और जटिल स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही महिलाओं की गहन जांच की जाएगी।

यह कार्यक्रम केवल चिकित्सकीय सेवाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि महिलाओं को उनके स्वास्थ्य अधिकारों और आत्मनिर्भरता के प्रति भी सजग करता है। स्वास्थ्य को सामाजिक सशक्तिकरण से जोड़ते हुए यह पहल प्रदेश की महिलाओं के समग्र विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।