नागपुर। हिंदु हृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग (Samruddhi Mahamarg) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। यह देश का पहला एक्सप्रेसवे बन गया है जो सौर ऊर्जा उत्पन्न करता है।
महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MSRDC) ने इस हाई-स्पीड कॉरिडोर के निर्माण के साथ-साथ विदर्भ के करंजा लाड (वाशिम) और मेहकर इंटरचेंज (बुलढाना) में सौर ऊर्जा परियोजनाओं की शुरुआत की, जिससे अवसंरचना और नवीकरणीय ऊर्जा का पायनियर प्रयास साबित हुआ।
समृद्धि महामार्ग की प्रमुख विशेषताएँ:
- यह 701 किलोमीटर लंबा है और नागपुर को मुंबई से जोड़ता है।
- उद्घाटन के बाद से अब तक 2.25 करोड़ से अधिक वाहन इस मार्ग पर गुजर चुके हैं।
- MSRDC ने योजना के प्रारंभिक चरण से इसे सिर्फ तेज़ यात्रा मार्ग ही नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र भी बनाने का लक्ष्य रखा था।
- कुल 204 मेगावाट की सौर क्षमता के लिए योजना बनाई गई है, जिसका कार्यान्वयन विभिन्न इंटरचेंजों पर किया जा रहा है।
सौर परियोजनाओं की स्थिति:
पहले चरण में करंजा लाड में 3MW और मेहकर में 2MW क्षमता के साथ सौर ऊर्जा उत्पादन शुरू हो गया है। कुल 9MW की इंस्टाल्ड क्षमता वाली परियोजनाएँ विकसित की गई हैं।
यह पहल MSRDC के लिए टोल संग्रह के अलावा अतिरिक्त राजस्व स्रोत भी प्रदान करती है। 2022 में MSRDC की विशेष परियोजना Mahasamruddhi Renewable Energy Ltd और MSEDCL के बीच हुए समझौते के अनुसार, उत्पन्न ऊर्जा को डिस्कॉम को बेचा जाएगा। मुख्यमंत्री की सोलर एग्रीकल्चर फीडर योजना (फेज 1) के तहत MSRDC ने प्रति यूनिट ₹3.05 का टैरिफ प्रस्तावित किया।
MSRDC का दृष्टिकोण:
जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर मनुज जिंदल ने कहा, “यह कॉर्पोरेशन की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। समृद्धि एक्सप्रेसवे के अलावा अन्य प्रस्तावित हाईवे इंटरचेंजों पर भी समान सौर परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा है। सौर ऊर्जा उत्पादन से कार्बन क्रेडिट भी प्राप्त होंगे, जिससे MSRDC को अवसंरचना विकास के लिए निधि जुटाने में मदद मिलेगी।”
परियोजना का कार्यान्वयन वाइस-चेयरमैन और एमडी अनिलकुमार गायकवाड़ के नेतृत्व में हुआ, और मनुज जिंदल के मार्गदर्शन में वरिष्ठ अधिकारी जैसे एनारेंद्र तोके (सीजीएम, पर्यावरण), श्रीधर मच्छा (सीएफओ), दीपक सोनाटके (सीई), भूषण मलकंडले, सतीश अकोड़े और नितिन झाडबुके ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
समृद्धि महामार्ग अब सिर्फ यातायात का मार्ग नहीं, बल्कि सौर ऊर्जा और हरित तकनीक का मॉडल भी बन गया है, जो भविष्य में भारत में हाइवे-ऊर्जा समन्वय के लिए मिसाल साबित होगा।
