रायपुर। नवरात्रि पर्व के बीच छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज ने मुस्लिम युवाओं से गरबा कार्यक्रमों में शामिल न होने की अपील की है। भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य में यह बयान चर्चा और विवाद दोनों का कारण बना है, क्योंकि आमतौर पर ऐसे बयान दक्षिणपंथी नेताओं से सामने आते हैं, लेकिन किसी वक्फ बोर्ड प्रमुख का इस तरह का रुख सामने आना दुर्लभ है।
सलीम राज ने वक्फ बोर्ड के आधिकारिक व्हाट्सऐप ग्रुप पर संदेश साझा करते हुए लिखा कि कुछ लोग “गलत नीयत” से गरबा स्थलों में प्रवेश करते हैं, जिससे हिंदू समाज की भावनाएं आहत होती हैं और सामाजिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा रहता है।
उन्होंने कहा,
“गरबा कोई साधारण नृत्य नहीं, बल्कि देवी दुर्गा की उपासना का लोकनृत्य है। यदि मुस्लिम समाज मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता, तो ऐसे धार्मिक आयोजनों से दूरी बनाए रखना बेहतर है।”
हालांकि सलीम राज ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई मुस्लिम भाई या बहन पारंपरिक परिधान और मर्यादा का सम्मान करते हुए समिति की अनुमति से शामिल होना चाहें, तो कोई आपत्ति नहीं है।
“यह अपील है, आदेश नहीं”
मीडिया से बातचीत में सलीम राज ने कहा कि उन्होंने यह बयान वक्फ बोर्ड अध्यक्ष के रूप में जारी किया है। उनका कहना था कि गरबा को लेकर कई बार विवाद खड़े होते हैं, इसलिए उन्होंने केवल अपील की है।
विरोध के स्वर
पूर्व वक्फ अध्यक्ष सलाम रिज़वी ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे बयानों से समाज में अदृश्य दीवारें खड़ी होती हैं। उन्होंने कहा,
“विभिन्न समुदायों को एक-दूसरे के त्योहारों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। दूरी बनाने से सामाजिक सौहार्द प्रभावित होता है।”
छत्तीसगढ़ में इस अपील के बाद राजनीतिक हलकों में भी हलचल है और इसे लेकर दोनों समुदायों में अलग-अलग राय देखने को मिल रही है।
