रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (एनएएन) घोटाले में नया मोड़ आया है। विशेष न्यायालय ने पूर्व IAS अधिकारी आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार हफ्ते की रिमांड पर भेज दिया है।
दोनों अधिकारियों ने सोमवार को विशेष न्यायाधीश (PMLA) दमरुधर चौहान की अदालत में सरेंडर किया, जिसके बाद ईडी ने उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया और अदालत में पेश किया। ईडी के वकील सौरभ कुमार पांडे ने बताया कि दोनों को पूछताछ के लिए दिल्ली ले जाया जाएगा।
गौरतलब है कि बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने शुक्ला (65) और टुटेजा (62) को मिली अग्रिम जमानत रद्द कर दी थी और ईडी को चार सप्ताह की कस्टडी की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को आत्मसमर्पण के लिए एक सप्ताह का समय दिया था।
अदालत में दायर आवेदन के मुताबिक, शुक्ला ने 19 सितंबर को आत्मसमर्पण किया, वहीं टुटेजा, जो पहले से ही एक अन्य मामले (कथित शराब घोटाले) में न्यायिक हिरासत में थे, उन्हें भी इसी दिन उत्पादन वारंट पर अदालत में पेश कर सरेंडर कराया गया। अदालत ने आदेश दिया है कि दोनों को 16 अक्टूबर को पेश किया जाएगा।
एनएएन घोटाले की गूंज 2015 में उस समय सुनाई दी थी जब तत्कालीन भाजपा सरकार के दौर में ACB/EOW ने नागरिक आपूर्ति निगम (Civil Supplies Corporation) के 25 ठिकानों पर छापे मारे थे। जांच एजेंसियों ने उस दौरान 3.64 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी जब्त की थी और चावल व नमक के कई सैंपल मानक से निम्न पाए गए थे।
इस मामले में 18 लोगों को आरोपी बनाया गया, जिनमें आलोक शुक्ला बतौर चेयरमैन और अनिल टुटेजा बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर नामजद किए गए। दोनों अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में गंभीर अनियमितताओं को बढ़ावा दिया।
गांव–गांव में गरीबों तक पहुँचने वाला यह घोटाला आम जनता की नाराज़गी का कारण बना था। आज जब पूर्व IAS अधिकारियों को ईडी की रिमांड पर भेजा गया है, तब लोगों को उम्मीद है कि वर्षों से लटके इस मामले में न्याय की दिशा में ठोस कदम उठेगा।
