पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की तिराह घाटी सोमवार को एक बड़े हादसे से दहल उठी। मातूर दारा इलाके में हुए विस्फोट/हमले में कम से कम 23 लोगों की जान चली गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। लेकिन इस घटना को लेकर विरोधाभासी दावे सामने आए हैं।
स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने समाचार एजेंसी PTI को बताया कि मौतें एक ऐसे कंपाउंड में हुईं जहां तालिबान (TTP) से जुड़े आतंकी विस्फोटक सामग्री जमा कर रहे थे। पुलिस के अनुसार, असुरक्षित तरीके से रखे गए विस्फोटकों के कारण धमाका हुआ।
वहीं AFP ने पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से दावा किया कि मौतें सुरक्षा बलों द्वारा किए गए हवाई हमले की वजह से हुईं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि “जेट विमानों ने चार घरों को निशाना बनाया, जो पूरी तरह तबाह हो गए।”
विपक्षी सांसद इकबाल अफरीदी ने भी आरोप लगाया कि “यह सुरक्षा बलों के विमान थे जिन्होंने गोलाबारी की और 23 लोगों की जान ले ली।” खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा में एक अन्य विधायक सोहैल खान अफरीदी ने इसे “निर्दोष नागरिकों पर हमला” करार दिया।
घटना के बाद क्षेत्र में लगभग 2,000 लोग सड़कों पर उतर आए और कथित हवाई हमले के खिलाफ प्रदर्शन किया। मानवाधिकार आयोग पाकिस्तान ने भी गहरी चिंता जताते हुए “तत्काल और निष्पक्ष जांच” की मांग की है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में मलबे के बीच पड़ी लाशें देखी जा सकती हैं। कुछ फुटेज में बच्चों के शव भी शामिल हैं। राहत दल अभी भी मलबा खंगाल रहे हैं, जिससे आशंका है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।
तिराह घाटी लंबे समय से तालिबान गतिविधियों का गढ़ मानी जाती है। यहां नागरिकों के बीच छिपकर आतंकी बम बनाने और प्रशिक्षण शिविर चलाते हैं। इसी वजह से अक्सर यहां सैन्य अभियान चलाए जाते हैं और कई बार निर्दोष लोग भी शिकार बन जाते हैं।
मानवाधिकार संगठनों ने पहले भी चेताया था कि खैबर पख्तूनख्वा में चल रहे अभियानों में सिविलियनों की सुरक्षा की अनदेखी की जा रही है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से अगस्त तक इस प्रांत में 605 आतंकी घटनाओं में 138 नागरिक और 79 पुलिसकर्मी मारे गए हैं।
फिलहाल यह साफ नहीं है कि सोमवार की त्रासदी का कारण हवाई हमला था या तालिबान कंपाउंड में रखा विस्फोटक। लेकिन इतना तय है कि इस घटना ने इलाके में भय और आक्रोश दोनों को गहरा कर दिया है।
