छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सड़क पर हुड़दंगबाज़ी का मामला सामने आने पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कुछ युवकों द्वारा जन्मदिन पार्टी के लिए फार्महाउस जाते समय लापरवाही से गाड़ियां चलाने, स्टंट करने और खिड़कियों व सनरूफ से लटककर सड़क पर दूसरों की जान जोखिम में डालने की घटना पर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) लिया है।
यह घटना हाल ही में सामने आई और इसकी जानकारी अखबारों में प्रकाशित रिपोर्ट से हुई। राहगीरों ने इस खतरनाक हरकत का वीडियो बनाकर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए 18 कारें जब्त कीं और वाहन मालिकों पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। साथ ही, ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश भी की गई है।
मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्त गुरु की खंडपीठ ने नाराज़गी जताई और कहा कि—
“ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस का शिकंजा सिर्फ गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों पर ही कसता है, लेकिन जब आरोपी प्रभावशाली वर्ग से जुड़ा होता है तो पुलिस लाचार हो जाती है। मात्र जुर्माना भरकर और गाड़ी छुड़वाकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है। पुलिस को ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि यह जीवनभर के लिए सबक बन सके।”
कोर्ट ने साफ निर्देश दिए कि जब्त की गई 18 कारें अदालत की अनुमति के बिना छोड़ी नहीं जाएंगी। साथ ही, मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया है कि अदालत को शपथपत्र (एफिडेविट) के जरिए बताएं कि मोटर व्हीकल एक्ट के अलावा और किन धाराओं के तहत इन युवकों पर कार्रवाई की गई है।
गौरतलब है कि साल 2025 की शुरुआत में भी हाईकोर्ट ने ऐसे ही सड़क पर स्टंट और हुड़दंगबाज़ी के मामलों पर संज्ञान लिया था, तब राज्य सरकार और पुलिस ने आश्वासन दिया था कि सख्त कदम उठाए जाएंगे। बावजूद इसके, इस तरह की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
